खबरीलाल का रोजनामचा: चलो इतना तो हुआ दोस्तों के रुख पहचाने गये

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चुनावी विसात पर चले जा रहे मोहरों और महारथियों का जायजा लेते लेते खबरीलाल साहबगंज चौराहे से सधवाड़ा सुतहट्टी, घुमना, बूरा वाली गली, गढ़ी कोहना, होते हुए रेलवे रोड पर आकर एक रेस्टोरेंट में गर्मी का प्रभाव कुछ कम करने बैठ गये। खबरीलाल पुराने दिनों की याद करने लगे। सधवाड़े का सन्नाटा उन्हें अच्छा नहीं लगा। खबरीलाल सोच रहे थे। यह वही सधवाड़ा है जहां चुनावों के दिनों हंगामा ही हंगामा होता था। जिले और नगर ही नहीं आसपास के क्षेत्रों में झंडा बैनर, बिल्ले आदि की पूर्ति यहीं से होती थी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीरभान साध को कैसे भुलाया जा सकता है। मीटिंग प्रचार नारेबाजी चुनाव की हर विधा में पारंगत हैं सधवाड़े के लोग। लेकिन आज पूरी तरह सन्नाटा है। इन्दिरा गांधी की 1977 में हुई गिरफ्तारी के दौरान जेल जाने वाले उस समय के अधिकांश लोग जाकर दिल्ली बस गए हैं और जमकर व्यापार कर रहे हैं।

खबरीलाल अपने गुंताड़े में मगन थे। बैरा दो तीन बार आर्डर लेने आया। परन्तु उन्हें कहीं और में डूबा देखकर चुपचाप चला गया। कुछ समय बीता रेस्टोरेंट के मैनेजर स्वयं खबरीलाल के पास आकर कुर्सी खींचकर बैठ गए। खबरीलाल की भी तंद्रा टूटी। बोले भइया यह बताओ आज कल तुम्हारी आमदनी का क्या हाल है। आज बड़ा सन्नाटा है। पहिले जब भी चुनाव थे देर रात तक रौनक रहती थी। मैनेजर बोला अब वह बात नहीं रही खबरीलाल। अब खाने का चलन कम और पिलाने का चलन ज्यादा हो गया। पौआ अद्दा लो या नकद पैसा वोट का वादा करो और अपने-अपने घर जाओ। लंबी दावतें मठाधीशों का स्वागत सरकार अब प्रत्याशी नहीं करना चाहता है। वह सारा लेनदेन स्वयं या अपने घर के लोगों के माध्यम से ही करना चाहता है।

खबरीलाल बोले सही कहते हो भैया। आज से ठीक पांचवें दिन चुनाव है। उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। प्रत्याशी चुनाव में अपनी ताकत झोंक दे रहे हैं। परन्तु मतदाता और स्थानीय स्तर पर वोटों के ठेकेदार हां हूं ही कर रहे हैं, बोल नहीं रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि जिस तरह पिछले विधानसभा चुनाव में नोटों और दारू की बरसात हुई थी। उससे भी बड़ा नजारा इस बार जिले के शहरी क्षेत्र में देखने को मिलेगा।

खबरीलाल के रेस्टोरेंट में बैठने की खबर अपनी पत्नी के चुनाव में लगे व्यापार मण्डल अध्यक्ष संजीव मिश्रा बॉबी को लगी। वह कंधे पर भारी हथौड़ा रखे रेस्टोरेंट में खबरीलाल के सामने की मेज पर आकर बैठ गए। बाबी बोले खबरीलाल जी आप निष्पक्ष और निर्भीक आदमी हैं। इस चुनाव में इस बार जीत हथौड़े की होगी। विधानसभा चुनाव में जो कुछ हुआ उस पर हम चर्चा नहीं करेंगे। परन्तु एक एक के मन में है कि अगर खोए हुए गौरव की वापसी करनी है। वह केवल और केवल संजीव मिश्रा बॉबी ही अपनी पत्नी को जिताकर कर सकते हैं। देखा नहीं आपने कि हमारी पालिका चुनाव में मजबूत स्थिति को देखकर भाजपा के राष्ट्रीय नेता को अपने प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में आना पड़ा। बाबी पूरे आत्म विश्वास से अपनी पत्नी की जीत का ऐलान कर रहे थे।

खबरीलाल काफी देर तक बाबी की बातें सुनते रहे। बोले बाबी भैया जसमई के ग्रीश दुबे राशन पानी लेकर विधायक विजय सिंह के साथ चुनाव प्रचार में घूम रहे हैं। कभी जनसंघ की नाक कहे जाने वाले स्वर्गीय पण्डित प्रयागनरायन दीक्षित का पूरा का पूरा परिवार विधायक से नाता जोड़ चुका है। आपके व्यापार मण्डल के प्रदेश सचिव ददुआ अरुण प्रकाश तिवारी भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए घर-घर जा रहे हैं। खबरीलाल की बातों का बाबी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। बोले मेरे लिये यह सभी आदरणीय हैं। मैं इस समय किसी के लिए कुछ नहीं कहूंगा। चुनाव परिणाम आने दीजिए सभी को अपनी अपनी हैसियत मालूम पड़ जाएगी। इस बार का गणित ही ऐसा है। हमें स्वयं भी इसकी उम्मीद नहीं थी। फर्रुखाबाद की जनता बहुत समझदार है। उसे धोखेबाजों, गद्दारों, वोट के सौदागरों, मक्कारों और शहर के लुटेरों से छुटकारे के लिए एक तारनहार चाहिए। ऐसा कोई है मैदान में जो हमारा मुकाबला कर सके। इस बार सबको मजा चखा देंगे। हमें हथौड़े का चुनाव निशान ऐसे ही नहीं मिला है। बाबी ने हथौड़ा फिर कन्धे पर रखा और अकड़ते हुए चले गए। खबरीलाल और रेस्टोरेंट के मैनेजर ने कहा कुछ नहीं। चुपचाप अपने-अपने काम में लग गए। ऐसा लगा कि भारी हथौड़े का डर उनको भी सताने लगा है। खबरीलाल धीरे-धीरे चौक की ओर बढ़ गए।

खबरीलाल के चौक पर आने की खबर लोहाई रोड पर पहुंचाई। एक कारिन्दा उन्हें बुलाने आया। खबरीलाल बोले अभी नहीं। पहिले हम सोनाली गुप्ता के परिजनों से मिलेंगे। अपने भैया भाभी (चकला वेलन) से कह देना शाम तक मौका लगा आ जायेंगे। नहीं तो मर्जी हो, जरूरत हो खुद आकर मिल लें। खबरीलाल नाम है हमारा।

खबरीलाल चौक से किराना बाजार होते हुए सरल दुबे राजा बाबू गुप्ता के मकान से होते हुए तिकोना चौकी के सामने बजरिया जाने वाली सड़क पर आ गए। ऊंची कुर्सी का पुराने गौरव की याद दिलाता आवास। आवास अब भी राष्ट्रीय विचारधारा से ओतप्रोत लगता है। सबसे पहिले सोनाली के पति संजीव गुप्ता ‘पप्पी’ मिले। मकान की सीढ़ियों से उतर कर अपने पिता स्वर्गीय किशनलाल गुप्ता की तरह दोनो हाथ बड़ी हार्दिकता के साथ मिलाकर खबरीलाल को ऊपर ले गए।

खबरीलाल ने चारो ओर देखा। अवस्थी जी के बाड़े में बने चुनाव कार्यालय में भी रौनक कम नहीं थी। पूर्व बसपाई को सपा के कथित समर्थन से किसी प्रकार की मायूसी ’पप्पी’ या किसी समर्थक के चेहरे पर नहीं थी। आना जाना पोस्टर कागज सब तैयार थे। खबरीलाल नगर के इस सर्वाधिक घनी आवादी वाले इलाके में रविवार को कई घंटे गली मोहल्लों की खाक छान चुके थे। पूरे क्षेत्र में रातों रात सोनाली गुप्ता के ‘शंख’ चुनाव चिन्हं की रंगत फैली हुई थी।

खबरीलाल ने सोनाली गुप्ता के पति से जब सपा के समर्थन के मुद्दे पर कुछ जानना चाहा। उसने फिर हाथ जोड़कर कहा पिता जी ने जो संस्कार दिए हैं। उसके चलते हम चुनाव तक कुछ नहीं कहेंगे। हमारे तो सभी चाचा, ताऊ, बाबा, भैया ही हैं। पप्पी ने अपनी उम्र से ज्यादा धैर्य का परिचय देते हुए और कुछ कहने से मना करते हुए एक शेर पढ़ा-

इसका गम क्या कीजिए बरसों के याराने गए,
कम से कम कुछ दोस्तों के रुख तो पहिचाने गए।

आज बस इतना ही। बाकी कल।

जय हिन्द

सतीश दीक्षित
एडवोकेट