फर्रुखाबाद: मतदाताओ द्वारा नेताओ का मुक्कदर लिखने में अब एक सप्ताह का वक़्त शेष है| कौन कहाँ तक पहुचेगा ये तो वोटो की गिनती के बाद पता चलेगा मगर उसके बाद इन नेताओ के दीदारो को अलगे पांच साल तक जनता तरसेगी इतना तो तय है| पिछले पांच सालो में सत्ता का हिसाब देने वत्सला घर घर पहुच रही है| लिखा पड़ी में ये हिसाब उनके पति के हिस्से में आता है| मगर अध्रंगिनी होने के नाते जबाब तो उन्ही को देना है और बात जब चकला बेलन की हो जो किचेन तक पहुचता है तो महिलाओ से पला पड़ना ही है| कई चुनाव में वोट मांग चुकी वत्सला अबकी बार नया अनुभव कर रही है| इस बार उन्हें अपनी बिरादरी से हटकर और अपने लिए वोट मांगने है|
छोटी मोटी शिकायत तो सत्ता वाले को झेलनी ही है| बस एक मौका दें, जो बचा है वो भी विकास पूरा कराया जायेगा| 5 साल में एक साल तो नगरपालिका समझने में चला गया| फिर एक और साल फंड नहीं आया| और जब बसपा के पद चिन्हों पर चले (यानि विकास कार्य के लिए घूस का पैसा अग्रिम लखनऊ पहुचाया) तब कहीं जाकर पैसा आया| ये बात वत्सला मतदाता को कैसे समझाये| तीन साल में जो कुछ बन पड़ा किया| एक मौका और दीजिये और यकीन मानिये इस बार बहुत कुछ हो जायेगा| ये चंद अल्फाज है जो महिला मतदाता का दिल पानी पानी करने के लिए काफी है| फिर चाय नास्ता और पानी के साथ अन्दर आओं की पुकार और अन्दर दस पांच मिनट बैठ वोट पक्का होने का भरोसा होने तक वार्तालाप| फिर अगले घर की कुण्डी और अगला मतदाता| यही क्रम है चुनाव प्रचार का| इस नगर की बहु है बड़े है तो सास ससुर और छोटे है तो ननद देवर| कितना नजदीकी रिश्ता लगता है इन शब्दों से| इसी से मतदाता पिछले 5 साल का गुस्सा कुछ क्षण के लिए भूल जाता है| एक कामयाब व्यापारी पति से लोगो (यहाँ ग्राहक नहीं) को संतुष्ट करना शायद सीखा है| नगलादीना में विश्व हिन्दू परिषद् के बड़े नेता ब्रह्मदत्त अवस्थी से बिना आशीर्वाद लिए कैसे आगे बढ़ जाती| सैनिक कालोनी, दुर्गा कालोनी और नगलादीना की गालिओ ने कई घंटे चला यूं सिलसिला|
एक घर से दूसरे घर और फिर गली दर गली| अचानक गले में ठसा लगा शायद मीठी सुपारी फस गयी| कुछ देर आराम … फिर रिपोर्टर का कवरेज पैक करने का भी वक़्त हुआ… और अगला प्रत्याशी का कुनवा खोज लिया|
एक नजर तस्वीरो से–