फर्रुखाबाद: नगर पालिका अध्यक्ष पद की प्रत्याशी रहीं कांग्रेस अल्पसंख्यक मार्चा के जिलाध्यक्ष व केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के प्रतिनिधि बाबर खां की पत्नी सबिहा सुल्ताना के अपना नामांकन वापस ले लेने के बाद पार्टी की अच्छी खासी फजीहत हो चुकी है। इसके बावजूद इसके विषय में तीन बाद तक कोई सार्वजनिक बयान न आने पर जब हमने कांग्रेस जिलाध्यक्ष के बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि उनकी तबियत खराब थी, वह इलाज के लिये दिल्ली गये हैं। तुम्हीं ने दर्द दिया है, तुम्हीं दवा देना।
विदित है कि गुरुवार को कांग्रेस की नगरपालिका पद की प्रत्याशी सबिहा सुल्ताना ने अपना नामांकन स्वयं कलक्ट्रेट पहुंच कर वापस ले लिया था। टिकट के लिये पार्टी में छिड़ी खेमेंबंदी के बाद जैसे तैसे तो अंतिम समय में पार्टी उम्मीदवर घोषित कर सकी थी। उसने भी एन मौके पर अपना नामांकन वापस ले लिया। सबिहा सुल्ताना भले ही राजनीति में नया नाम हों पर उनके पति बाबर खां कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष व केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के स्थानीय प्रतिनिधि भी है। अभी भी हैं, क्योंकि अभी तक न तो उन्होंने स्वयं स्तीफा दिया है व न ही उनको पार्टी ने हटाया है। एसे में घटना के तीन दिन बाद तक भी जब पार्टी की ओर से कोई बयान नहीं आया तो हमने जिलाध्यक्ष की तलाश शुरू की। पता चला है कि जिलाध्यक्ष आफताब हुसैन दिल्ली गये है। परिजनों के मुताबित उनकी तबियत खराब थी, दवा लेने गये हैं।
पार्टी सूत्रों की मानें तो जनपद स्तर पर जब पार्टी के जिम्मेदार लोग पार्टी के माई-बाप से संपर्क नहीं कर सके, और उनको मीडिया के सवालों से बच कर घर में बैठना तक दूभर हो गया तो उन्होंने आखिर खुद दिल्ली का सफर करने का निर्णय किया। बताते चलें कि सबिहा सुल्ताना के नामांकन वापस लेने के बाद उनके पति बाबर खां ने मीडिया के साने उन कारणों का भी खुलासा किया था, जिनके चलते उनकी पत्नी ने यह कदम उनके कहने पर उठाया। बाबर खां ने विशेष रूप से दिल्ली में बैठे केंद्रीय मंत्री के APS रहे प्रत्यूश शुक्ला द्वारा JNI पर कांग्रेस प्रत्याशी को प्रति बूथ पांच वोट तक न मिलपाने का कमेंट पोस्ट कर दिया था। सार्वजनिक कमेंट के विषय में शिकायतें भी की गयीं थीं। परंतु कार्रवाई नहीं हुई थी। दूसरी ओर नगर अध्यक्ष ने तो शनिवार को जिलाध्यक्ष तक पर पर्चा वापसी की करतूत में शामिल होने के आरोप लगा डाले थे। एसे में जिलाध्यक्ष को मुंह छिपाना मुश्किल हो रहा था।
वैसे यह भी अभी तय नहीं है कि दिल्ली जाकर भी जिलाध्यक्ष की सलमान खुर्शीद या उनकी पत्नी लुइस खुर्शीद से मुलकात हो ही जायेगी। क्योंकि स्वयं बाबर खां तक यह आरोप लगा चुके हैं, कि वह पर्चा भरने के बाद कांग्रेस के लोगों के व्यवहार के विषय में वार्ता करने के लिये कई दिनों तक दिल्ली में डेरा डाले रहे, पर उनकी मुलकात नहीं हो सकी।