माया सरकार के शासन काल में हुए घोटालों की परतें एक-एक कर खुलती जा रही हैं। ताजा घोटाला समाज कल्याण विभाग में सामने आया जहां एक जिले में दो हजार से अधिक मर चुके लोगों को वृद्धावस्था पेंशन दी जा रही है।
माया सरकार के दौरान हुए इस घोटाले के प्रकाश में आने के बाद मामले की जांच कर दोषियों को सजा दिए जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। मालूम हो कि गाजीपुर जिले में जांच के दौरान दो हजार से ज्यादा ऐसे नाम सामने आये हैं जो मृत हो गये हैं लेकिन उनके नाम से पेंशन की राशि दी जा रही है।
समाज कल्याण विभाग जो आम जनता की भलाई के लिए दर्जनों योजनाएं चलाता है। अधिकांश लोगों को इन योजनाओं की जानकारी नहीं हो पाती जिसका लाभ विभागीय कर्मचारी व अधिकारी उठा लेते हैं। कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत से योजना के लाभार्थियों में फर्जी नाम जोड़ दिए जाते हैं तथा विभाग के लोगों को रुपये का सालाना गबन होता है। पिछले दिनों विभाग में वृद्धावस्था पेंशन में गडबड़ी का मामला उजागर हुआ।
विभाग को मिली शिकायत में आरोप था कि 2273 मृत लोगों को पेंशन दी जा रही है। मामले की जांच के आदेश दिए गए और हकीकत सामने आ गयी। जिले में समाज कल्याण विभाग की ओर से 61 हजार 265 लोगों को वृद्धावस्था पेंशन दी जा रही है। जांच में पाया गया कि 2273 लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके नाम से पेंशन जारी हो रही है।
पेंशन की धनराशि किसके खाते में जा रही है इस बारे में कोई कुछ नहीं बता पा रहा है। समाज कल्याण अघिकारी नागेन्द्र पाल सिंह के अनुसार मामले की जांच अभी पूरी नहीं हुई है। जांच पूरी होने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। पेंशन की राशि जारी करने के पहले ग्राम पंचायत, ब्लाक से लेकर तहसील तक से अघिकारी की स्वीकृति जरूरी है।
उन्होंनें कहा कि अभी तक 34 हजार 576 लाभार्थियों का सत्यापन कराया गया है। मृतकों का आंकड़ा तीन हजार पार कर सकता है। सूत्र बताते हैं कि इन लोगों के मरने की खबर विभाग को मिल चुकी थी लेकिन कर्मचारियों ने जानबूझकर उनके नाम सूची नहीं हटाए ताकि सरकार धन की लूट चलती रहे।