क्या मजाक है? पूर्ति अधिकारी और खाद्य इन्स्पेक्टर को नहीं मालूम थे जिले में चल रहे गोरखधंधे

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फर्रुखाबाद: आपकी थाली में रखा खाना कितना शुद्ध है इस बात की कोई गारंटी नहीं| हर निबाले के साथ आप कितनी मात्र में जहर खा रहे हो इसका भी कोई पैमाना नहीं है| सुबह शाम थोक के भाव दवाई खाते रहो, बाजार से आने वाला नकली और जानलेवा खाद्य सामान आप को ठीक नहीं होने देगा| लगाते रहो डॉक्टर के भी चक्कर| आखिर क्यूँ? ये सब हो रहा है? नलों में बिना क्लोरीन का अशुद्ध पानी पीजिये| मिलावट वाला रिफाइंड और घी खाइए| बेसन में मक्का का आंटा और दही में अरारोट खाइए| क्या मजाक है?

जिले में राशन वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और नकली खाद्य सामग्री का बड़े पैमाने पर हो रहा उत्पादन सरकारी अमले की जानकारी में न हो इस पर यकीन करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है| हर माह बंधी बंधाई घूस की रकम में हिस्सा सबका है| बाबूजी से लेकर अफसर तक भ्रष्टाचार की गंगा में बड़े मजे से गोते लगाते है| लखनऊ मुख्यालय से हर माह कारवाही के लिए आये लक्ष्य के अलावा इन दोनों विभागों के अफसरों ने कोई अतिरिक्त कारवाही नहीं की| ये बात इनकी हर माह भेजी जाने वाली मासिक प्रगति आख्या बताती है| आंकड़े सरकारी है जो ये दोनों विभाग ऐसे गोपनीय रखते है जैसे उनके खुलासे से देश की सुरक्षा को कोई बड़ा खतरा होने वाला हो|

जिला पूर्ति अधिकारी आर०एन० चतुर्वेदी और उनके निरीक्षको सहित अन्य अधीनस्थ कर्मचारियो के संज्ञान में ये बात न हो कि राशन कैसे कालाबाजारी होकर बिकता है| कैसे पेट्रोल पम्प मालिक और मिटटी के तेल के डीलर राशन का मिटटी का तेल ठिकाने लगाते है इस बात की जानकारी जिला पूर्ति अधिकारी से लेकर पूर्ति निरीक्षक को छोडो चपरासियो तक को होगी| मिटटी का तेल डीजल बन कर बिक रहा है| इस प्रकार का डीजल अधिकतर मोबाइल टावर और कोल्ड स्टोर में खपत हो रहा है| मिटटी का तेल तो खुले बाजार में बिकता नहीं तो नगर में मिटटी के तेल से चलने वाले जरनेटर और दालमोठ बनाने वाले कारखानों में जलने वाली बड़ी भट्टियो के लिए मिटटी का तेल कहाँ से आता है| जाहिर है उन्ही मिटटी के तेल के डीलरो और कोटेदारो से जिनका हर महीना एक निश्चित धनराशी जिला पूर्ति कार्यालय पहुच रही है| दो साल पहले ही जहानगंज में थाने के बराबर में बसपा एमएलसी मनोज अग्रवाल के कोल्ड स्टोर में याकूतगंज व् एक अन्य कोटेदार का मिटटी का तेल एक प्रधान ने पकडवा दिया था| उस वक़्त चतुर्वेदी की सांस अटक गयी थी| मीडिया में फोन करके चतुर्वेदी ने नेताजी की और से गुहार लगायी थी कि कोटेदार को तो नाप देंगे बस तेल की बरामदगी कोल्ड के बाहर दिखा लेने दो| दोनों कोटेदार जेल गए थे| जरा सी ईमानदारी की उम्मीद मत करिए इन लोगो से| कुछ कह सुन दोगे तो ऐसे सात्विक प्रवचन सुनायेंगे जैसे हिमालय से कोई संत अभी समाधी तोड़ कर लौटा हो|

अब सुनिए कायमगंज में रहने वाले खाद्य निरीक्षक का हाल| सुना है कायमगंज से फर्रुखाबाद मुख्यालय आते समय सभी दुकानदारो को फोन करते है| रस्ते भर महीना वसूलते है और शाम तक घूस का बड़ा गोला खाकर डकार भी नहीं लेते| इनके पास के मोबाइल की काल डिटेल इनके कपडे उतारने के लिए काफी होंगे| जिले भर में आम जनता को मीठा जहर खिलाया जा रहा है तो इसके जिम्मेदार पूर्ति निरीक्षक नहीं तो और कौन है| आपके बच्चे के टिफन में रखे लंच के लिए पराठे रिफाइंड से बने है और क्या गारंटी है कि वो घटिया पाम-आयल नहीं है? ह्रदय रोगी और कम केलोस्ट्रोल खाने वाले मजे में फार्चून खा रहे है| ठीक नहीं हो रहे है ह्रदय रोग घटने की जगह बढ़ रहा है| जिन्दगी कितनी कम हो रही कुछ नहीं पता| कौन है जिम्मेदार इन सबका| क्या केवल ये नकली खाद्य पदार्थ बेचने बनाने वाले? नहीं इन पर निगाह रखने वाले खाद्य निरीक्षक भी? क्या ये धीमी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं है| क्यूँ नहीं इन सब पर जान से मारने के प्रयास का मुकदमा चलाया जाए?

अब इनका वर्जन भी सुनिए| बेईमानी के पैसे से रोटी खाने की आदत डाल चुके ये अपनी भ्रष्टाचार की कहानी को ऐसे रो गाकर सुनाते है जैसे भ्रष्टाचार ये नहीं करना चाहते, ऊपर के अफसर (जैसे डीएम, मंत्री और सचिव एवं आयुक्त) की वजह से गड़बड़ घोटाला करते है| ये तो बड़े दूध के धुले है| इनके पास कोई अतिरिक्त संपत्ति बंगले नहीं है| इनके बच्चे भी बड़े गरीबी में जीते है| भला सोचो किसी सरकारी अफसर के बेटे बेटी की शादी हो तो जिले के ठेकेदार और राशन माफियाँ कौन सी रिश्तेदारी के कारण तोहफे देने जाते है? कोई माफिया इनके बच्चो को स्कूल में एडमिशन दिला रहा है तो कोई ……|

कौन कहता है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता? जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी को बस जनता का सही सपोर्ट चाहिए| ये भी सच है कि भाड़ अकेला चना ही फोड़ता है| कार्ल मार्क्स से लेकर अन्ना तक की यही कहानी है|