फर्रुखाबाद: नगर निकाय चुनाव के घोषणा की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है| फर्रुखाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष पद की कुर्सी के संभावित दावेदार रात दिन रणनीति बैठाने में लग चुके हैं| हर प्रत्याशी अपने पत्ते बंद कर दूसरे की चाल समझना चाहता है| 15 दिन पहले मैदान में उतरने का ऐलान करने वाले कई सम्भावित प्रत्याशी अब मैदान से बाहर बैठ राजनैतिक अखाड़े की कुश्ती देखने का मन बना चुके है| इसी बीच कुछ नए योद्धा सम्भावनाओ की तलाश में लग चुके है| ऐसे में डॉ रजनी सरीन का पालिका चुनाव में नाम नजर आ जाना कोई चमत्कारिक घटना भले ही न हो, मगर पालिका की अखरोट की कुर्सी पर नजर गडाए नेताओ में खलबली जरुर पैदा करने वाली है| अमेरिका में लम्बे प्रवास और भाजपा में निलंबन वापसी के बाद घर लौटी डॉ रजनी सरीन से जेएनआई ने जब फर्रुखाबाद के नगरपालिका चुनाव बाबत बात की, तो पुराने दो चुनाव की यादे ताजा कर एक नया सन्देश जनता में देते हुए बोली- ” मुझे फर्रुखाबाद की जनता पर आज भी पूरा भरोसा है, जनता चाहेगी तो चुनाव लडूंगी”|
पेश है बातचीत के अंश-
सवाल- नगर निकाय चुनाव में आपकी चुनाव लड़ने के बाबत क्या योजना है?
उत्तर- जनता चाहेगी तो जरुर लडूंगी| मेरा जीवन ही अब इस देश सेवा के लिए है| पारिवारिक जिम्मेदारियां पूरी हो चुकी है| अब तो फर्रुखाबाद की जनता ही मेरा परिवार है| और परिवार के लोग चाहेगे तो सेवा करने के लिए कुछ भी करूंगी| वैसे भी मेरे पास क्या कमी है| मैं तो फर्रुखाबाद की जनता की सेवा के लिए ही यहाँ टिकी हूँ| मुझे यहाँ की अवाम की हर पल चिंता रहती है वर्ना कब की बच्चो के साथ विदेश शिफ्ट गयी होती| इसलिए चुनाव लड़ना मेरे लिए इतना प्रमुख नहीं है, अपने लोगो की सेवा करते हुए बचा हुआ जीवन बीते अब तो बस यही तमन्ना है| और उसके लिए जनता ने इशारा किया तो जरुर चुनाव लडूंगी| अभी तो लम्बे प्रवास के बाद अमेरिका से लौटी हूँ| लोगो से बात करूंगी|
सवाल- क्या भाजपा से टिकेट मांगेगी?
उत्तर- कभी नहीं, पहले भी टिकेट नहीं माँगा था अब भी नहीं मांगूगी| पार्टी को लगेगा की मैं जीत सकती हूँ तो मुझे चुनाव खुद लड़ाएगी| इससे पहले पार्टी अपने फैसलों का परिणाम देख चुकी है| और मुझ पर तो पार्टी और जनता ने हमेशा ही भरोसा किया है| मुझे पहले भी जनता ने चुनाव लड़ाया था फिर लड़ाएगी| अमेरिका में भी मेरे पास फर्रुखाबाद की जनता और पार्टी के नेताओ ने फोन पर नगर निकाय चुनाव से सम्बन्धित बाते हुई है| रही बात पिछले चुनाव की तो कुछ लोग थे जो पार्टी में रहते हुए भी धोखेबाजी करते रहे| मगर मेरा मानना है कि अगर वो धोखेबाजी न की गयी होती तो चुनाव मैं जीत गयी थी|
सवाल- आपके भाजपा से निलंबन का क्या किस्सा है?
उत्तर- (हँसते हुए) कोई किस्सा नहीं भाई, कुछ लोगो की मनघडंत चाल कहे या कुटिलता समझ में नहीं आता| मैं तो 19 तारीख वोट पड़ने तक फर्रुखाबाद में थी| मुझसे कहा भी गया था कि एक महीने के लिए बाहर चली जाओ मगर मैं नहीं गयी| मैं चाहती थी कि मेजर चुनाव जीते और मैंने देर रात तक लोगो को भाजपा के लिए वोट डालने को प्रेरित भी किया| रही बात कालपी में अपने भाई के चुनाव प्रचार करने की तो मैं केवल एक दिन के लिए वहां गयी| भाजपा नेताओ ने दबाब डाला था कि अपने भाई को चुनाव में भाजपा के पक्ष में बैठने के लिए कहो| मै गयी भी, मगर बात न मानने पर मैं कालपी से नागेन्द्र जी के साथ वापस लौट कर लखनऊ चली गयी| बाद में जब मैंने भाजपा के बड़े नेताओ को सारी बात बताई तो उन्हें दुःख हुआ| ये सोची समझी रणनीति थी जिसमे तीन चार लोग शामिल थे|
सवाल- अंत में फिर वही सवाल- क्या नगरपालिका चुनाव लड़ेगी?
उत्तर- अगर जनता को लगता है मुझे चुनाव लड़ना चाहिए तो जरुर लडूगी|