लैपटॉप गोद में रखके काम करना है स्पर्म में कमी की बड़ी वजह.

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पुरुष के प्रजनन अंगों (खासकर अन्डकोशों में) में बनने वाला कोशाणु (जो स्त्री के अंडे से मिलकर शिशु को जन्म देता है) शुक्राणु कहलाता है. यह वह तरल है जिसमें मौजूद रहता है वीर्य, शुक्र. शुक्र में होतें हैं शुक्राणु. विगत दो दशकों के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक दो मिलीलीटर सिमेन वोल्यूम में स्पर्म की तादाद (स्पर्म काउंट) ४-५ करोड़ से घटकर दो करोड़ (२० मिलियन) रह गया है।मार्डन युवाओं में लैपटाप को घंटों अपनी गोद में रखकर काम करने की आदत भी स्पर्म काउंट की सख्या में कमी का कारण बनती है।

मर्दों में चालीस की उम्र के पार स्पर्म के ड़ी.एन.ए. टूटने लगते हैं विखंडित होने लगतें हैं. इस फ्रेगमेंटेशन के फलस्वरूप स्पर्म के गर्भाधान कराने, औरत को गर्भवती बनाने के मौके छीजने लगते हैं. आजकल तीस के पार भी मर्दों में स्पर्म की सेहत को लेकर समस्याएं आने लगतीं हैं. कैरियर परिवार नियोजन को पीछे धकिया देता है. शहरी से ग्रस्त जीवन शैली, शहरी खान-पान, हमारी हवा और हमारे पीने नहाने के पानी का गन्धाना, संदूषित होते चले जाना, दूध में तरह तरह की मिलावट का पैर पसारते चले जाना स्पर्म की सेहत को छलनी करता चला  गया।

शुक्राणु की सेहत का आकलन स्पर्म काउंट (शुक्र तादाद /प्रति इजेक्युलेट), मोटिलिटी (गति अथवा गत्यात्मकता, मूवमेंट), आकृति विज्ञान (शुक्र का आकार और बनावट/बुनावट) व टोटल वोल्यूम ऑफ़ इजेक्युलेट (प्रति स्खलन वीर्य का आयतन) पर निर्भर करता है। यदि आप गर्म माहौल में काम करते हैं (इंजन में कोयला झोंकने का काम, भट्टी पर देर तक बैठ के काम करना जैसे हलवाईगिरी या फिर आपका विषाक्त पदार्थों से सने माहौल में काम करना मसलन किसी रासायनिक कारखाने में काम करने की मजबूरी) तब आपका स्पर्म काउंट गिर सकता है. देर तक स्टीम बाथ लेना, 40 सेल्सियस तापमान वाले वाटर टब में आधा घंटा से ज्यादा समय बिताना भी स्पर्म काउंट को कम कर देता है. लैपटॉप गोद में रखके काम करना दूसरी वजह है इसमें कमी दर्ज़ होने की. देर तक साइकिल चलाना स्क्रोतम (अन्डकोशों) के तापमान को बढ़ा सकता है जबकी इसका तापमान शेष शरीर से थोड़ा कम ही रहना होना चाहिए. ढीले ढाले अंडर वीयर ही पहनिए. जैसे बोक्सर पहनते हैं वही बढिया. बने भी सूती कपडे के होने चाहिए. देर तक एक जगह बैठ के काम करना भी ठीक नहीं है स्क्रोतम की सेहत के लिए. देर तक मोटर साइकिल का सफर भी मुफीद नहीं है.

स्पर्म की गुणवता में सुधार के लिए

जिंक बहुल खाद्यों यथा केला, बादाम, शेल फिश, खाद्य शंख मीन, (ओईस-टर) आदि का सेवन टेस्ता-स्टेरान संश्लेषण को बढाता है. स्पर्म काउंट, मोटि-लिटी तथा स्पर्म वोल्यूम प्रति इजेक्युलेट भी बढाता है. पोषण विज्ञान के माहिरों के नुसार विटामिन ए बहुल खाद्य (गाज़र, दूध, चीज़, अंडा), विटामिन सी युक्त खाद्य (संतरे, स्ट्राबेरीज़, ब्रोक्कोली) तथा विटामिन ई (मूंगफली, पालक, बादाम, चीनिया/पहाड़ी बादाम, पिंघल फल) शुक्र के स्वास्थ्य को आदर्श बनाते हैं. सेलीनियम का जिन चीज़ों में डेरा है, मसलन लहसुन, लाइकोपीन युक्त अमरुद, टमाटर तथा तरबूज आदि स्पर्म की ओक्सी-डेतिव नुकसानी (Oxidative damage) को नियंत्रित  रखते हैं, कम करते हैं.