जज की दलील- प्‍यार में पागल हो जाता है आदमी

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प्यार सोच समझकर नहीं किया जाता, वह तो बस हो जाता है। भले ही यह बात फिल्मी लगे, लेकिन राजधानी की एक सत्र अदालत ने भी इस माना है। एक सेशन जज ने अंग्रेजी के कवि लॉर्ड कोहन द्वारा 60 के दशक में लिखी गई पंक्ति का हवाला देते हुए कहा कि कोई प्यार करे और उसमें विवेक का भी इस्तेमाल हो, यह संभव नहीं है। प्यार में तार्किक तरीके से सोचा नहीं जा सकता। इस बात को ध्यान में रखते हुए जज ने नाबालिग लड़की के प्रेमी और उसे भगाकर शादी करने वाले को दोषी तो करार दिया, लेकिन सजा के नाम पर उसे दिन भर कोर्ट में खड़ा रहने को कहा।

द्वारका कोर्ट के एडिशनल सेशन जज वीरेंद्र भट्ट ने कहा, लड़का दीपू और लड़की एक दूसरे से प्यार करते हैं। स्वाभाविक है कि प्यार करने के बाद शादी की योजना भी बनाई गई, लेकिन लड़की ने अपनी उम्र छिपा ली, जबकि वह 18 साल से कम की थी। उसने अपनी उम्र 19 साल बताते हुए आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली। फैसले में जज ने कहा, जब उन्होंने भागने का फैसला किया, तब लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम थी। लड़के से यही जुर्म हुआ। उसे लड़की की उम्र जांचनी चाहिए थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अदालत ने कहा, प्यार में तार्किक तरीके से नहीं सोचा जा सकता। जिस तरह की परिस्थिति लड़के के सामने थी, उसे समझा जा सकता है। अपनी प्रेमिका पर भरोसा करना ही उसके सामने विकल्प था।

सेशन जज ने कहा, हालांकि भारतीय दंड संहिता की धारा 361 के अनुसार नाबालिग लड़की को फुसलाना या भगाना या उसे परिजनों की मर्जी के बिना अपने साथ रखना जुर्म है। लेकिन लड़के ने लड़की को नहीं भगाया, बल्कि लड़की खुद ही घर से भागने को तैयार हुई। इस हालातों के मद्देनजर कोर्ट ने दीपू को दिन भर कोर्ट में खड़ा रहने की सजा दी और एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।