स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए पर्याप्त योग्य एवं प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी से जूझ रही सरकार अगले पांच साल इस अहम् मुद्दे पर खास तवज्जो देगी। पहल वैसे तो कई स्तर पर होगी, लेकिन सबसे ज्यादा फोकस शिक्षकों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर होगा। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की तर्ज पर क्षेत्र पंचायतों में ब्लाक शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (बायट) खुलेंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को राज्य सभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के विस्तार से भी ज्यादा जरूरी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाना है। नतीजे बताते हैं कि बीए और बीएड कर चुके लोग भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) नहीं पास कर पा रहे हैं। लिहाजा सरकार 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में इस पर खास ध्यान देने जा रही है। जिसके लिए 6308 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च तय किया गया है। उससे राज्य शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद (एससीईआरटी), विश्वविद्यालयों के शिक्षा विभागों, शिक्षक शिक्षा व प्रशिक्षण के मौजूदा कालेजों, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों और दूसरे शिक्षा विभागों तथा संस्थानों को और बेहतर बनाया जाएगा। योग्य एवं मेधावी शिक्षकों की जरूरत को पूरा करने के मद्देनजर हर क्षेत्र पंचायत में ब्लाक शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (बायट) खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस नई योजना पर अमल के लिए फिलहाल अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक बहुल 196 जिलों की पहचान भी की जा चुकी है। जहां शिक्षकों की शिक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। इसके अलाव अलग-अलग विश्वविद्यालयों के 50 शिक्षा विभागों को और बेहतर बनाने के लिए पहचान की गई है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकारी शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान तो सिर्फ 1178 हैं, जबकि निजी 12689 हैं। समस्या वहां से निकलने वाले शिक्षकों की है। लिहाजा योग्य शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए टीईटी जरूरी है।