बसपा सरकार के दौरान नगर पालिका एवं पंचायतों के अध्यक्ष पद के प्रस्तावित आरक्षण में बड़ा बदलाव होना तय है। पूर्व में अनुसूचित जाति (एससी) व पिछड़ी जाति (बीसी) के लिए आरक्षित अध्यक्ष के पदों में से ज्यादातर अब अनारक्षित होने की उम्मीद है। मौजूदा सरकार नए सिरे से प्रस्तावित आरक्षण के संबंध इसी सप्ताह अनन्तिम अधिसूचना जारी करने की तैयारी में जुटी है।
तत्कालीन बसपा सरकार में 15 जनवरी को जारी अधिसूचना में नगर पंचायत अध्यक्ष पद का प्रस्तावित आरक्षण, पूर्व के निकाय चुनाव में रहे आरक्षण को देखते हुए किया गया था जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहला निकाय चुनाव मानते हुए अब नगर पंचायत के अध्यक्ष पद का आरक्षण होना है। ऐसे में नगर पालिका अधिनियम में दी गई चक्रानुक्रम व्यवस्था के अनुसार नगर पंचायतों को एससी की आबादी के घटते क्रम (प्रतिशत में) में रखते हुए एससी की अधिकतम आबादी वाले पंचायतों के पद पहले एससी के लिए फिर बीसी, महिला व अनारक्षित वर्ग के लिए रहेंगे। सर्वाधिक एससी की आबादी वाले नगरों के निकाय अध्यक्ष पद इस बार एससी के लिए ही आरक्षित होंगे।
पदों के आरक्षण की यह होगी स्थिति : नियमानुसार विभिन्न वर्गो के लिए अध्यक्ष पद, नगर पंचायत वाले नगरों में एससी की आबादी के समानुपात में जबकि बीसी के लिए अधिकतम 27 फीसदी रखे जाते है। इनमें 33 फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित रखने होते हैं। विदित हो कि 423 नगर पंचायतों में लगभग 14.12 फीसदी एससी की जबकि 50.45 फीसदी बीसी की आबादी है। ऐसे में 60 पंचायतों के अध्यक्ष पद एससी के लिए आरक्षित होंगे जिसमें 20 एससी महिलाओं के लिए रहेंगे। 114 पंचायतों के अध्यक्ष पद बीसी के लिए रहेंगे जिसमें से 38 बीसी महिलाओं के लिए होंगे। सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए 83 पद रहेंगे, जबकि 166 नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद अनारक्षित होंगे।