फर्रुखाबाद: एनआरएचएम के करोड़ों रुपये के घोटाले में फंस चुके पूर्व सीएमओ हसीन खां व कई उनके सहगिर्दों के खुलासे के बाद भी स्वास्थ्य विभाग घोटाले व भ्रष्टाचार से अभी भी अछूता नहीं है। एनआरएचएम घोटाले के बाद अब लोहिया अस्पताल में मरीजों को खिलाने के लिए खुलेआम दूध, मक्खन और अण्डों के नाम पर अस्पताल सीएमएस व कर्मचारी मिलकर बंदरबांट कर रहे हैं।
जहां लोहिया अस्पताल के मरीजों को दाल का पानी रोटी तक नसीब नहीं हो रही है वहीं कागजों में वाकायदा मरीजों को अंडे, मक्खन और दूध खिलाया जा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में लोहिया अस्पताल के फीमेल मरीजों के खाने लिए चार लाख रुपये का व मेल मरीजों के लिए चार लाख 90 हजार रुपये का बजट दिया गया था। जिसको वाकायदा मेल व फीमेल के सीएमएस व ठेकेदारों की मिली भगत से पूरा का पूरा डकार लिया गया। यदि मरीजों को कभी-कभार दिया गया तो दाल का पानी या दूध की सफेदी।
सीएमएस व ठेकेदार की मिलीभगत का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि मरीजों के लिए खाना बनाने के लिए रसोइया तक को नहीं रखा गया है। जब कोई मरीज खाने की मांग करता है तो कह दिया जाता है कि खाना कोई बनाने वाला ही नहीं है। इसलिए दूध ब्रेड से ही काम चलाओ और मरीजों के खाते में चढ़ रहे अण्डे, फल और मक्खन डाक्टर व अधिकारी मिलकर खा रहे हैं।
लोहिया अस्पताल के सीएमएस ए के पाण्डेय चंद महीनो में सेवानिवृत्त होने वाले हैं जिसको ध्यान में रखते हुए वह मीडिया से दूरी बनाना ही उचित समझे हुए हैं। खाने के बारे में उनसे पूछे जाने पर उन्होंने कड़े लहजे में कह दिया कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। जानकारी करके दो एक दिन में बता पाऊंगा। चोरी को छिपाने का इससे अच्छा तरीका और कोई नहीं हो सकता। अभी तक जो भ्रष्टाचार सीएमएस ने किया उसका खुलासा न हो पाये इसी बजह से डाक्टर साहब कागजी कार्यवाही पूरी रखते हैं।
पिछले वित्तीय वर्ष में महिला बार्ड के लिए चार लाख रुपये मीनू के हिसाब से बजट आया था। जिसमें दोनो टाइम के प्रति मरीज के हिसाब से भोजन में 237 ग्राम आटा, 58 ग्राम दाल, 77 ग्राम सब्जी, 500 ग्राम दूध शामिल हैं। यदि मरीज रोटी सब्जी नहीं ले रहा है तो उसे एक लीटर दूध दिया जाना चाहिए। एक्स्ट्रा डाइट वाले मरीजों के के लिए फल, मक्खन, अण्डा और ब्रेड का मीनू सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। लेकिन मरीजों को यह सब सपने में भी नसीब नहीं हुआ।
महिला सीएमएस सुमन सिंह का कहना है कि मेरे पास कुक की कमी है जिसकी बजह से मरीजों को एक समान दूध और ब्रेड दिये जा रहे हैं। अब इसे डाक्टर की परेशानी कहेंगे या भ्रष्टाचार अगर कुक की कमी है तो इतने बड़े अस्पताल में किसी भी महिला को किराये पर खाना बनाने के लिए रखा जा सकता है लेकिन दूसरी तरफ प्रश्न यह भी है कि फिर गोलमाल कैसे होगा।
अस्पताल के कुछ पुराने सूत्रों ने बताया कि मुझे तो वर्षों हो गये मरीजों को मक्खन और अण्डा मिलते नहीं देखा। लेकिन रिकार्ड में सब मेंटेन है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि लखनऊ से लोहिया अस्पताल के निरीक्षण के लिए हजारों रुपये जनता का फूंककर आने वाले न जाने कितने एडी और व निदेशक को तो छोड़िये पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के सचिव भी लोहिया अस्पताल से मुस्कराते हुए यह कहकर निकले कि कुछ नहीं मिला। कोई सिर्फ लोहिया अस्पताल के कूड़ेदान में पड़ी गंदगी देखकर और कुछ मरीजों के हालात को देखकर वरिष्ठ लोहिया के अधिकारियों को फटकार कर चले गये। लेकिन किसी ने गरीब मरीजों के पेट की थाह नहीं ली।
लोहिया अस्पताल के पुरुष बार्ड में भर्ती मरीज अपने घरों से बना हुआ खाना ही खाते हैं और मरीजों को खाने के नाम पर चंद पतली रोटी और पानी जैसी दाल मुहैया हो रही है। कई मरीज जो गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं और घर भी दूर है उन तक को एक-एक रोटी के लिए ठेकेदार के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है। इस बात की कोई जानकारी सीएमएस ए के पाण्डेय को नहीं है और अगर है तो वह जानबूझकर मामले को टालने का प्रयास कर रहे हैं। तभी तो मरीजों की खाने की समस्या के बारे में बात करने पर उन्होंने मामले को आगे बढ़ा दिया।
चार लाख रुपये का बजट पिछले वित्तीय वर्ष में पुरुष बार्ड के खान पान के लिए आया था। जो मरीजों ने नहीं वल्कि सीएमएस व ठेकेदार की मिलीभगत से गिद्ध भोज में परिवर्तित हो गया। सीएमएस ए के पाण्डेय रिटायर्ड के नजदीक होने के कारण अब अपने अभिलेख व्यवस्थित करने में लग गये हैं। जिससे उनके द्वारा किये गये गोलमाल पर पर्दा डाला जा सके।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 कमलेश कुमार ने बताया कि मुझे इस सम्बंध में कोई जानकारी नहीं है व न ही कोई लेना देना। जनपद के सबसे बड़े चिकित्साधिकारी के मुहं से यह शब्द सुनकर आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा कि लोहिया अस्पताल के पुरुष व महिला मरीजों के लिए अलग_अलग बजट आता है। जिसका सीएमएस अपने हिसाब से खर्चे करते हैं।