जंक फूड सेहत के लिए नुकसानदेह है। तमाम जानकारों ने इसे कई बार दोहराया है लेकिन भारत में जंक फूड बनाने वाली कंपनियां अपना माल बेचने के लिए झूठ का सहारा लेती हैं। पहली बार इसका खुलासा किया गया है। ये खुलासा सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट यानी सीएसई ने किया है।
सीएसई के मुताबिक उन्होंने अपनी रिपोर्ट में 16 जंक फूड कंपनियों के उत्पादों की जांच के बाद जारी की है। जिन कंपनियों की जांच की गई है उनमें मैगी, टॉप रेमन, मैकडॉनल्ड्स, केएफसी और हल्दीराम सहित कई ब्रांडेड कंपनियां शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इनके उत्पादों में ट्रांस फैट्स, नमक और चीनी का स्तर मानकों से बहुत अधिक होता है लेकिन कंपनियां इन पर झूठी जानकारी देती हैं।
सीएसई की डायरेक्टर जनरल सुनीता नारायण ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि जंक फूड सेहत के लिए खराब होते हैं लेकिन कंपनियां अपने उत्पादों के बारे में झूठा प्रचार करती हैं। ऐसा कर ये कंपनियां उपभोक्ताओं की सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं।
सीएसई का दावा है कि ये भारत में जंक फूड पर इतने बड़े स्तर पर किया गया पहला रिसर्च है। सीएसई के उप महानिदेशक चंद्र भूषण ने कहा कि इस शोध में पता चला है कि हमारे शरीर को किस चीज की जरूरत है और इन कंपनियों के उत्पादों में ये कितनी मात्रा में है।
मालूम हो कि ट्रांस फैट दिल के लिए खतरनाक होते हैं। ट्रांस फैट हमारे शरीर में अच्छे कॉलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल की मात्रा को कम करते हैं जबकि ये शरीर में नुकसानदेह कॉलेस्ट्रॉल एलडीएल की मात्रा बढ़ाते हैं। ट्रांस फैट मोटापे और डायबिटीज की बड़ी वजह होते हैं।
डब्लूएचओ के मुताबिक नियमित आहार में कुल ऊर्जा का एक प्रतिशत ही ट्रांस फैट होना चाहिए। जिस वजह से दिन भर में एक व्यस्क पुरुष 2.6 ग्राम, महिला 2.1 ग्राम और 10-12 साल के बच्चे 2.3 ग्राम ट्रांस फैट का सेवन कर सकते हैं।
फूड सैफ्टी स्टैंडडर्स के नियम के मुताबिक अगर किसी ब्रांड के एक सर्विंग के अंदर ट्रांस फैट 0.25 ग्राम से कम कम है तो वो अपने पैकेट पर नो ट्रांस फैट लिख सकते हैं।