फर्रुखाबादः केन्द्र सरकार द्वारा किये जा रहे मैरिज एक्ट में संशोधन को लेकर जनपद की महिलाओं में काफी उत्सुकता दिखी। महिलाओं ने नये मैरिज एक्ट का स्वागत करते हुए कहा कि अब इस कानून से पुरुष महिलाओं को जल्द प्रताड़ित नहीं करेंगे व महिलाओं को अब एक मजबूत कानून मिल गया है।
केन्द्र सरकार ने मैरिज एक्ट में किये गये संसोधन में महिलाओं को तलाक के लिए खुली छूट दी है। जिसमें पुरुष को अपील करने तक की कोई गुंजाइस नहीं है। यहां तक कि महिला को शादी के बाद पति द्वारा अर्जित की गयी सम्पत्ति में हिस्सा भी देने की बात कही गयी है। जिससे महिलाये ंतो खुश दिख रहीं हैं लेकिन पुरुषों की सामत आना तय माना जा रहा है।
महिलाओं को कानून द्वारा दिये गये दहेज एक्ट के बाद अब संशोधित मैरिज एक्ट कानून आने से महिलाओं को काफी बल मिलेगा। इस पर कई महिलाओं से बात करने में जो प्रक्रिया सामने आयी उससे यही आंकड़े लगाये जा सकते हैं कि संशोधित मैरिज एक्ट से महिलाओं को काफी हद तक पतियों के उत्पीड़न से निजात मिलेगी।
सपा की पूर्व विधायक उर्मिला राजपूत का कहना है कि वह मैरिज एक्ट का स्वागत करते हैं। इस कानून से पूर्व की भांति तलाकशुदा महिलायें दर-दर भटकती थीं। लेकिन अब सम्पत्ति में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी होने से तलाक की घटनायें कम होंगीं और अगर होती भी हैं तो कम से कम महिलाओं को कुछ जमीनी मजबूती मिलेगी।
वहीं मार्डन पब्लिक स्कूल की प्रबंधक निमिषा गुप्ता का कहना है कि यह मैरिज एक्ट बाकई में काबिले तारीफ है। लेकिन इसमें गलत किस्म की महिलायें फायदा ज्यादा उठायेंगीं। इस एक्ट के नाम पर महिलायें अपने पति को प्रताड़ित भी कर सकती हैं। इसका फर्क सामान्य महिलाओं पर तो कुछ नहीं पड़ेगा। क्योंकि सामान्य घरेलू महिलाये ंतो अपने पति को ही सब कुछ मानती हैं। लेकिन चलती फिरती औरतों का इसमें अच्छा खासा फायदा हो जायेगा। किसी धनवान व्यक्ति से शादी करने के बाद कानून द्वारा तय समय के बाद तलाक ले लेंगे और पति की आधी सम्पत्ति की हकदार बन जायेंगीं।
वहीं डा0 रत्ना पुरवार, डा0 अंजली सारस्वत का कहना है कि मैरिज एक्ट एक अच्छा कानून है। जिस पर किसी भी महिला को ऐतराज नहीं होना चाहिए। यह महिलाओं के हित की बात हो रही है।
वहीं नव विवाहिता रेनू व नीलू का कहना है कि काफी वर्षांे से अखबारों में और किताबों में पढ़ते चले आ रहे हैं कि शादी के बाद अगर पति गलत चरित्र का या नाकारा निकलता है तो महिलाओं को ताउम्र परेशानी में ही गुजारनी पड़ती है। इस कानून से अगर महिला अपने पति से परेशान है तो स्वेच्छा से उससे छुटकारा तो पा सकती है। यह कानून महिलाओं को वाकई उत्पीड़न से निजात दिलायेगा।
वहीं अविवाहित युवतियों में मिस फर्रुखाबाद निहारिका पटेल व छात्रा ज्योति बाजपेयी ने बताया कि अब इस कानून से हर उस महिला को हौसला मिलेगा जो कहीं न कहीं वह पति से उत्पीड़ित हो रही है। यह कानून महिलाओं के लिए इसलिए उचित है कि कई मामलों में पति द्वारा पत्नियों को छोड़ देने पर उनके पास गुजर बसर के लिए कोई सहारा नहीं रहता है। अब पति अपनी सम्पत्ति जाने के चक्कर में कम से कम पत्नी के साथ क्रूरता का व्यवहार तो नहीं कर पायेगा। अगर फिर भी ऐसा करता है तो महिला इस कानून के माध्यम से पति से तत्काल छुटकारा पायेगी ही वल्कि उसकी सम्पत्ति से 50 प्रतिशत धन भी मिलेगा।