फर्जी नियुक्ति और गबन के आरोपी जिला विद्यालय निरीक्षक को जेल

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देवरिया। शिक्षा विभाग में भी घोटालों की कोई कमीं नहीं है लेकिन इन घोटालों को कोई सरकारी कर्मचारी उजागर करे ऐसा कम होता है। प्रदेश के देवरिया जिले में ऐसा ही हुआ जहां विभाग के लिपिक ने जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी व एक प्रधानाचार्य पर आरोप लगाया कि उन्होंने मिलकर छात्रों के लिए आयी सरकारी धनराशि का गबन किया।

गबन व घोटाले को अंजाम देने वाले अधिकारियों के खिलाफ जब जांच हुई तो आरोप सच पाए गए जिसके बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओ.पी.सिन्हा की अदालत ने जिला विद्यालय निरीक्षक डा. विजय प्रकाश सिंह की जमानत याचिका खारिज करते हुए जेल भेज दिया। सिंह वर्तमान में गोरखपुर में सह जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर तैनात है।

उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक विद्यालय में कार्य करने वाला अदना से क्लर्क उन्हें जेल तक पहुंचा देगा लेकिन ऐसा ही हुआ। जिला शासकीय अधिवक्ता नफीस चिश्ती के अनुसार सलेमपुर थाना क्षेत्र के दुलहिन राजधारी कुंवरी कन्या जूनियर हाईस्कूल अहिरौली लाला के लिपिक दहारी प्रसाद ने 16 मई 2008 को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 156 (3) सी.आर.पी.सी. के तहत एक मामला दर्ज कराया।

लिपिक दहारी प्रसाद का कहना था कि जिला विद्यालय निरीक्षक डा. विनय प्रकाश सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी ए.एन.मौर्य, विद्यालय के पूर्व प्रबन्धक रामायण प्रसाद यादव व प्रधानाचार्य दमयंती यादव ने सरकारी सम्पत्ति का गबन किया है अत: उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा मामले की जांच करायी जाए। अदालत ने सलेमपुर कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया और मामला पुलिस थाने में दर्ज हो गया। चिश्ती के अनुसार मामले के विवेचक ने 2009 में अदालत को आरोपपत्र सौंप दिया।

सूत्रों के अनुसार जांच में चारों अधिकरियों की मिलीभगत सामने आयी। उधर आरोपियों ने उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश प्राप्त कर लिया। न्यायालय द्वारा आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बावजूद आरोपी न्यायालय में हाजिर होने से बचते रहे। उसके बाद मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट ने विजय प्रकाश सिंह और बेसिक शिक्षा अधिकारी ए.एन.मौर्य के खिलाफ गैर जमानती वारन्ट जारी किया। विजय प्रकाश सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद जिला जज ओ.पी. सिन्हा ने जमानत याचिका खारिज कर उन्हें जिला जेल भेज दिया।