मीडिया में कैग के हवाले से छपी रिपोर्ट में कोयले की खदान के आवंटन में साढ़े दस लाख करोड़ के घोटाले का खुलासा किया गया है। नाराज विपक्ष ने लोकसभा में प्रश्नकाल स्थगित कर अब तक के सबसे बड़े घोटाले पर चर्चा के लिए सरकार को नोटिस दिया है। लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामे के बाद प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। यद्यपि महालेखा परीक्षक ने मीडिया में छपी खबरों को गलत बता दिया है, व इस संबंध में प्रधानमंत्री को
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सरकार ने कोयले की खदान के आवंटन में नियमों को ताक पर रख कर काम किया है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक इससे सरकार को करीब साढ़े दस लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक कोयला खदानों के आवंटन में नीलामी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि नियमों को ताक पर रखकर करीब सौ कंपनियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया है।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 155 कंपनियों को कोयला खदानों का आवंटन किया गया था जिसके लिए कोई निलामी नहीं लगाई गई। कोयला खदानों के आवंटन के लिए सभी नियमों को ताक पर रखा गया जिससे यह घाटा हुआ है। यह आवंटन वर्ष 2004-09 के बीच में किए गए।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इसको महज एक ड्राफ्ट बताया है। कांग्रेस का कहना है कि यदि इस संबंध में सरकार नीलामी करती तो इसका बोझ सीधे तौर पर जनता पर ही पड़ता। सरकार ने किसी भी तरह के घोटाले से साफ इंकार किया है। वहीं केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जब तक वह इस रिपोर्ट का पढ़ नहीं लेते हैं तब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके पद संभालने के बाद इसके होने की कोई आशंका नहीं है।
सीपीएम ने इस मामले में जेपीसी के गठन की मांग उठानी शुरू कर दी है। सीपीएम ने कहा है कि वह इस मामले को संसद में पुरजोर तरीके से उठाएगी। सीपीएम ने इस संबंध में प्रधानमंत्री से जवाब मांगा है। सीपीएम ने कहा है कि सरकार ने उनकी नीलामी की मांग को नजरअंदाज कर मनमानी की जिसका नतीजा आज घोटाले के रूप में सामने आ रहा है। सीपीएम ने इस पर प्रधानमंत्री से जवाब मांगा है।