लोकायुक्त कार्यकाल बढ़ाने को लेकर सरकार व राजभवन में ठनी

Uncategorized

लोक आयुक्त का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी राज्य सरकार के पहले ही अध्यादेश पर राजभवन ने अडंगा लगा दिया है। अध्यादेश पर राज्यपाल का दस्तखत न हो पाने की वजह से मौजूदा लोक आयुक्त न्यायमूर्ति एन.के. मेहरोत्रा का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी आदेश जारी नहीं हो सका। सरकार शुक्रवार को पूरे दिन अध्यादेश पर दस्तखत कराने का कवायद में जुटी रही लेकिन राज्यपाल बी.एल. जोशी ने ‘बैक डेट’ में दस्तखत करने से इनकार कर दिया। राजभवन के रुख को देखते हुए सरकार दूसरे विकल्पों पर विचार करने में जुटी है। विधि विशेषज्ञों से राय-सलाह की जा रही है। दूसरा अध्यादेश भी लाया जा सकता है।

लोकायुक्त को लेकर राज्य सरकार और राजभवन में ठन गई है। मौजूदा लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन.के. मेहरोत्रा का कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की पहली बैठक में लोकायुक्त का कार्यकाल बढ़ाने के लिए लोकायुक्त व उपलोकायुक्त अधिनियम में संशोधन संबंधी अध्यादेश का अनुमोदन करके रात में मंजूरी के लिए राजभवन भेज दिया गया। उधर शपथ ग्रहण के बाद राज्यपाल दिल्ली रवाना हो गए। अध्यादेश को राजभवन की मंजूरी न मिलने से लोकायुक्त का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी आदेश आज जारी नहीं हो सका। न्यायमूर्ति मेहरोत्रा आज कार्यालय भी नहीं आए। राजभवन के इस रुख से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ-साथ सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी खासे नाराज बताए जा रहे हैं।

भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार शपथ ग्रहण केबाद राजभवन में लोकायुक्त का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी अध्यादेश को लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच बातचीत हुई थी। राजभवन से सरकार को संकेत दिया गया था कि अध्यादेश को कैबिनेट से पास कराकर जैसे ही भेजा जाएगा, उसे मंजूरी दे दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट की बैठक के बाद अध्यादेश की प्रति राज्यपाल सचिवालय को रिसीव भी करा दी गई थी लेकिन राज्यपाल के दिल्ली चले जाने के कारण इस पर दस्तखत नहीं हो सके। जब आज राज्यपाल ने ‘बैक डेट’ में दस्तखत करने से इनकार कर दिया तो सरकार भी सकते में आ गई। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से फोन पर बात भी लेकिन वह दस्तखत करने को राजी नहीं हुए। शासन के सूत्रों का कहना है कि कानूनन जिस तारीख में राजभवन को कोई अध्यादेश भेजा जाता है उसी तिथि में उस पर दस्तखत हो जाने चाहिए।

राजभवन के इस रुख देखते हुए सरकार ने विधि विशेषज्ञों की राय लेकर दूसरे विकल्पों पर भी गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि गुरुवार के कैबिनेट से पास कराए गए अध्यादेश के स्थान पर दूसरा अध्यादेश लाने पर विचार हो रहा है। संशोधित अध्यादेश में लोकायुक्त का कार्यकाल छह से बढ़ाकर आठ वर्ष करने के साथ-साथ यह प्रावधान करने पर भी विचार हो रहा है कि कार्यकाल खत्म हो जाने केबाद जब तक नए लोकायुक्त की नियुक्ति न हो तब तक वही लोकायुक्त कार्यरत रहेगा जो उस समय है। सूत्रों का कहना है कि गुरुवार को भेजे गए अध्यादेश को अगर राजभवन से मंजूरी नहीं मिलती है तो एक-दो दिन में संशोधित अध्यादेश जारी किया जा सकता है।

राजभवन के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल दिल्ली गए हैं इसलिए अध्यादेश पर कोई फैसला नहीं किया गया है। सोमवार को उनके वापस लौटने के बाद ही कोई निर्णय होगा।