उत्तर प्रदेश में समाजवादी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया। जिसका पूरा श्रेय पार्टी युवराज अखिलेश यादव को दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश से निराशा हाथ लगी है। वे राज्य से खाली हाथ लौटे हैं। 22 से 202 सीटें हासिल करने का दावा करने वाले राहुल गांधी कांग्रेस को केवल 28 सीटें दिला पाए। जबकि अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी को रिकॉर्ड 224 सीटें दिलाईं।
उत्तर प्रदेश में आए चुनावी नतीजों की बारीकी से समीक्षा की जाए तो आप देखेंगे कि राहुल गांधी ने इस चुनाव में जितनी मेहनत की उसके बदले में मिली मेवा अखिलेश ने खाया। वो ऐसे कि प्रदेश की जनता के दिमाग में एक ही बात थी कि किसी भी तरह से माया को सत्ता से बेदखल करना है। इसके लिए यूपी की जनता को समाजवादी पार्टी से बेहतर ऑप्शन कोई और नहीं मिला। जिस वजह से आखिरी समय में जनता ने सपा की ओर रुख किया।
यूपी में भले ही कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के हाथ निराशा लगी हो मगर मायावती को सत्ता से बेदखल करने और समाजवादी पार्टी को संपूर्ण बहुमत दिलाने में उनकी अहम भूमिका है। चुनावों से ठीक पहले राहुल गांधी ने मायावती की ऐसी पोल खोली कि आवाम ने राज्य में बसपा से पीछा छुड़ाने का मन बना लिया। जिसका फायदा सीधे तौर पर सपा को मिला।
अपने हर भाषण में राहुल गांधी ने जनता से कहा कि मायावती का हाथी जनता का पैसा खाता है। उन्होंने जनता के बीच पहुंचकर बताया कि जो पैसा केंद्र सरकार राज्य के विकास के लिए भेजती है उसे हाथी खा जाता है। इतना ही नहीं उन्होंने राज्य में हुए एनआरएचएम घोटाले में भी मायावती की जमकर पोल खोली।
उत्तर प्रदेश में जहां भी कोई आपराधिक घटना होती थी राहुल गांधी वहां पहुंच जाते थे। उनको वहां मीडिया कवरेज मिलती थी और माया राज में हो रहे अपराधों की जानकारी आम जनता तक पहुंच जाती थी। उन्होंने माया राज की एक-एक बुराई को जनता के सामने रखा। उत्तर प्रदेश में मायावती को विलेन बनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी।
चुनावों से पहले मायावती और राहुल गांधी के बीच सत्ता की जंग बिल्लियों की लड़ाई की तरह थीं। सत्ता की रोटी को लेकर मायावती और राहुल गांधी में जमकर खींचातान मची। बाद में वो रोटी न तो राहुल गांधी को मिली और न ही मायावती को। दोनों के हाथों से वह रोटी अखिलेश यादव छीन ले गए।
राज्य में भले ही राहुल गांधी की असफलताओं को गिनाया जा रहा हो। मगर मायावती को सत्ता से बेदखल करना राहुल गांधी की सबसे बड़ी कामयाबी है। शायद ही उनके अलावा यह काम कोई और कर पाता। सपा की कामयाबी के पीछे राहुल गांधी का कितना अहम रोल है इसका अहसास अखिलेश यादव को भी होगा।
मायावती की सीटें घटकर आधे से भी कम रह गई हैं। मायावती की इस हार के लिए अखिलेश यादव कम और राहुल गांधी ज्यादा जिम्मेदार हैं। अखिरी समय पर जनता को मायावती को बेदखल करने के लिए सपा ही सबसे बड़ी पार्टी नजर आई जिस वजह से जनता ने उन्हें आंख बंद कर वोट दिए। इतनी बड़ी जीत की उम्मीद खुद न तो अखिलेश यादव को थी और न ही मुलायम सिंह यादव को।