विधानसभा चुनाव के बाद बेरोजगार अपराधी हुए बेलगाम, पुलिस लाचार

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फर्रुखाबादः शहर में आपराधिक ग्राफ दिनो दिन बढ़ता जा रहा है। पुलिस किसी भी हत्या या डकैती का खुलासा करने में असमर्थ नजर आ रही है। पुलिस की निष्क्रियता का स्पष्ट उदाहरण यह है कि शहर में हत्यारे बेखौफ घूम रहे हैं। ऐसा लगता है कि मानो हत्यारों को पुलिस का कोई भय नहीं है।

बात सिर्फ इस फरवरी माह की करें तो यह स्थिति बिलकुल साफ हो जाती है कि इस माह हत्याओं का ग्राफ काफी ऊपर चला गया है। तीन फरवरी को चारा मशीन गाड़ने के विवाद में 45 वर्षीय सुनीला श्रीवास्तव की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। 7 फरवरी को नितगंजा स्थित प्रीती गुप्ता पत्नी आदित्य गुप्ता को मारकर फांसी पर लटका दिया गया। 9 फरवरी को नबावगंज में अंन्नू पत्नी सोनू की हत्या कर दी गयी। वहीं फतेहगढ़ के ग्राम निनौआ निवासी दलित राजेश की 10 फरवरी को हत्या कर शव बाग में फेंक दिया गया।

11 फरवरी को भोलेपुर निवासी घनश्याम पाण्डेय पुत्र मिश्रीलाल पाण्डेय की हत्या कर शव फांसी पर लटका दिया। 22 फरवरी को मेरापुर के बरी नगला निवासी मुकेश की पत्नी को आग लगाकर मार दिया गया। 22 फरवरी को ही कायमगंज के बगिया सोहनलाल निवासी लेखपाल कैलाश राम के पुत्र धर्मेन्द्र की हत्या कर शव गड्ढे में दबा दिया गया। 26 फरवरी को अभयपुर नगरिया निवासी रंजीत यादव की पत्नी संगम यादव की हत्या कर शव फांसी पर लटका दिया। इसी दिन नबावगंज के ग्राम बांसमई निवासी दलित रामनरेश जाटव उर्फ नरसी पुत्र विंदा जाटव की सिर कुचलकर हत्या कर दी गयी।

इस घटना के ठीक एक दिन बाद 27 फरवरी को नबावगंज के ही ग्राम गुसरापुर निवासी शेर सिंह कहार के पुत्र मंजीत की हत्या कर शव पेड़ पर लटका दिया गया। इसी दिन कमालगंज के ग्राम सियापुर के चौकीदार राजेन्द्र की प्रेम प्रसंग में हत्या कर शव पेड़ पर लटका दिया।
उक्त ज्यादातर हत्याओं में अपराधियों ने जिस तरीके से हत्या की है उनका तरीका एक ही तरह का है कि हत्या कर फांसी पर लटका देना।

ज्यादातर केशों में पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली मगर अभी तक अपराधियों के गिरहवान तक उनके हाथ नहीं पहुंच पाये हैं। इसी बजह से हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं।
शहर में निडर हो चुके कई अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण है। लगता है पुलिस भी चाहकर उनके ऊपर कार्यवाही करने से कतरा रही है।
जो भी हो इस महीने हत्याओं का ग्राफ बढ़ने से पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। पुलिस हत्यायें व चोरी की बढ़ती बाढ़ को रोकने में अक्षम सी लग रही है।