फर्रुखाबादः आज के युग में रोजगार को देखते हुए परेशान युवा दर-दर की ठोकरें खा रहा है। परन्तु कहीं भी उसको उचित रोजगार नहीं मिल रहा है। किसान भी अपनी खेती को लेकर नुकसान उठाता नजर आ रहा है। महंगाई की मार युवा वर्ग पर ही नहीं वल्कि ग्रामीण क्षेत्र को अपने गिरफ्त में ले चुकी है। जहां शहरी क्षेत्र में लोग रोजगार की संभावनायें तलाश रहे हैं वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में गन्ने से गुड़ बनाने का व्यवसाय आज भी कुटीर उद्योग के रूप में रोजगार का जरिया बना हुआ है।
ग्रामीण क्षेत्रों में मिठाई के रूप में अधिक पसंद किये जाने वाले गुड़ को बनाने के लिए भी गन्ना उपज के क्षेत्रों में गुड़ के कुटीर उद्योग लगे हुए हैं। कायमगंज क्षेत्र के गुड़ बनाने का काम कर रहे रामबीर यादव ने बताया कि एक कुन्टल गन्ने से 10 किलो गुड़ तैयार हो जाता है। 190 रुपये प्रति कुन्तल गन्ना खरीदकर करीब 100 रुपये प्रति 10 किलो पर लागत सहित मुनाफा मिल जाता है। अच्छे किस्म का सरसर प्रजाति का गन्ना 200 रुपये प्रति कुन्टल के हिसाब में मिलता है। इस प्रजाति के गन्ने का गुड़ भी महंगा बिकता है।
सर्दी हो या गर्मी गुड़ की मिठास सस्ते में मुहं मीठा करने का एक उपयुक्त खाद्यान्न है। जिसको कृषक के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी खूब पसंद किया जाता है।
एक कुटीर उद्योग में लगभग 12 लोगों को रोजगार मिल जाता है। जिसमें चार हजार रुपये से लेकर 7 हजार रुपये प्रति महीना की मजदूरी प्रति कारीगर अपनी योग्यता के अनुसार लेता है।
रामबीर का मानना है कि रोजगार की दृष्टि से गन्ने की फसल आलू से ज्यादा फायदेमंद है। इससे गुड़ का कारोबार करके कई लोगों को ग्रामीण क्षेत्र में ही रोजगार मिल सकता है।