टीईटी: परीक्षा केन्द्रों पर की थी घोटालेबाजों ने ‘सेटिंग’

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शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में सेंधमारी की शुरुआत परीक्षा केन्द्रों से हुई थी। घोटालेबाजों के एजेंटों ने आगरा, हाथरस, एटा, फिरोजाबाद, अलीगढ़ , कांशीराम नगर , औरैया और संतकबीर नगर में कई केन्द्रों पर ‘सेटिंग’ की थी। कुछ निजी विद्यालयों में प्रश्नपत्र हल कराने का ‘खेल’ सफल भी हुआ। चूंकि इस परीक्षा में गडबडी की आशंका में एसटीएफ भी नजरें गडाए थी, लिहाजा कई परीक्षा केन्द्रों में नकल का ‘खेल’ बिगड गया। वहां के अभ्यर्थियों से एजेंटों ने ऐन मौके पर कहा कि ‘उत्तर पुस्तिका सादी छोड दो…बाकी हम लोग समझ लेंगे।

यही वजह है कि जांच में 10 हजार से अधिक ऐसी उत्तर पुस्तिकाएं मिली हैं , जो सादी हैं । घोटाले की जांच में जुटे अधिकारियों को यकीन है कि ये वही अभ्यर्थी हैं , जिन्होंने परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए मोटी रकम दी है । पुलिस इन्हीं उत्तर पुस्तिकाओं को सीढी मानकर तफ्तीश में जुटी है ।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की बुधवार को हुई गिरफ्तारी के बाद घोटाले का सच सामने आया था। पता चला था कि 800 अभ्यर्थियों में से प्रत्येक से 1.5 लाख रुपए वसूले जाने थे। टीईटी परीक्षा में धांधली के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों से पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की तो एक और सच सामने आया। आगरा, हाथरस, एटा, फिरोजाबाद, अलीगढ़ , कांशीराम नगर , औरैया और संतकबीर नगर से गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि कुछ निजी विद्यालयों में प्रश्नपत्र हल कराए गए थे पर , सहायता प्राप्त और सरकारी विद्यालयों के परीक्षा केन्द्रों पर ‘खेल’ बिगड गया। लिहाजा अभ्यर्थियों से यह कह दिया गया कि उत्तर पुस्तिका सादी छोड दो। वजह साफ थी कि प्रश्नपत्र हल किए जाने पर उसमें कहीं भी संशोधन की गुंजाइश नहीं बचती।

हालांकि यह उत्तर पुस्तिकाएं अभी तक सादी ही हैं । सूत्रों का कहना है कि 11 लाख से अधिक अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में मूल्यांकन किया गया। जिसमें करीब 10 हजार ऐसी उत्तर पुस्तिकाएं हैं , जिन पर रोलनम्बर व अन्य व्यक्तिगत जानकारी तो दर्ज हैं , लेकिन किसी भी प्रश्न का उत्तर अंकित नहीं है ।

पुलिस ने कुछ ऐसे विद्यालयों को चिन्हित किया है , जहां गडबडी हुई थी। उनके प्रबंधकों से पूछताछ की तैयारी चल रही है । साथ ही सादी मिली कॉपियों के अभ्यर्थियों को भी तलाशा जा र हा है । ताकि यह पता चल सके कि उन्होंने अंक बढाने के लिए रकम किसे दी थी। शिक्षा घोटाला 10 हजार से अधिक उत्तर पुस्तिकाएं सादी मिलीं पुलिस अब इन्हीं सादी आंसर सीटों के आधार पर अपनी तफ्तीश करेगी

…अब कौन कराएगा शिक्षक पात्रता परीक्षा?

यूपी-टीईटी में धांधली का खुलासा होने के बाद अब सबसे बड़ा प्रश्न यह खड़ा हो गया है कि अब यूपी में टीईटी कौन संस्था करवाएगी।

दरअसल बेसिक शिक्षा परिषद ने पहले ही परीक्षा करवाने में असमर्थता जाहिर कर दी थी। यही कारण था कि 27 अगस्त को नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के दो सप्ताह के अंदर यूपी बोर्ड को परीक्षा की जिम्मेदारी सौंप दी गई। लेकिन प्रदेश में पहली बार कराई गई परीक्षा में ही गडबड़ी का खुलासा होने के बाद अब शायद ही सरकार यूपी बोर्ड को दोबारा इसकी जिम्मेदारी दे।

टीईटी की मेरिट अब इतने विवादों में फंस चुकी है कि इसके आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती संभव नहीं दिख रही। वहीं तीन महीने बाद जून जुलाई में दोबारा टीईटी करवाना है। परीक्षा से पहले उससे जुड़ी तैयारियां भी करनी है । जानकारों की मानें तो बेसिक शिक्षा परिषद के पास उतने संसाधन नहीं है कि इतने बड़े स्तर की परीक्षा करवा सके ।

इस साल समय से नहीं हो पाएगी टीईटी!

2012 में शिक्षक पात्रता परीक्षा समय से होने के आसार नहीं है। दर असल यूपी बोर्ड परीक्षा को लेकर विवाद में फंस चुका है । विधानसभा चुनाव के कारण किसी दूसरी संस्था को यह जिम्मेदारी नहीं दी गयी है । चुनाव खत्म होने के बाद सरकार बनने में काफी समय बीत जाएगा। इसके बाद यदि किसी एजेंसी को जिम्मेदारी दी जाती है तो जून-जुलाई में परीक्षा करवाना संभव नहीं होगा। कारण एक -दो महीने में परीक्षा से जुड़ी सारी तैयारियां करना संभव नहीं है । ऐसे में बेरोजगारों को सरकारी टीचर बनने के लिए लंबा इंतजार करना होगा। बेसिक शिक्षा परिषद ने पहले ही हाथ खड़े कर रखे हैं। विवाद के बाद बोर्ड को शायद दोबारा जिम्मेदारी

 

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में धांधली

माध्यमिक शिक्षा विभाग की शिक्षा पात्रता परीक्षा (टीईटी) के बहाने पोल खुल गई है । नया प्रकरण माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का है । हाईस्कूल और इण्टर कॉलेजों में प्रधानाध्यापकों और प्रधानाचार्यों की नियुक्ति के लिए बोर्ड ने एक विज्ञापन जारी किया था, जिस पर आपत्ति जताई गई है । खासबात यह है कि शासन पिछले एक माह से बोर्ड सचिव से इस बाबत जवाब मांग रहा है लेकिन बोर्ड नजरंदाज कर रहा है । चयन बोर्ड केवल माध्यमिक स्कूल-कॉलेजों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की नियुक्ति करता है । शिक्षकों ने इस गडबडी को भांपते हुए शासन से शिकायत कर दी।