आयोग की रेट सूची देख प्रत्याशी बेहोश

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फर्रुखाबाद : चुनाव आयोग और प्रत्याशी के खर्च मीटर में अंतर दिख रहा है। आयोग सरकारी रेट की दुहाई दे रहा है तो प्रत्याशी अपने क्षेत्र की बात कह रहे हैं। कई उम्मीदवार इसी दुविधा को लेकर अटके हुए हैं और अभी तक बहुत कम प्रत्याशियों ने अपने रजिस्टर तैयार किये हैं।

प्रत्याशियों के चुनावी खर्चे पर नजर रखने के लिए इस बार बकायदा खर्च रजिस्टर बनाए गये हैं। इसमें एक रजिस्टर मुख्यालय पर रखा गया है। इसमें चुनाव प्रचार के दौरान उपयोग होने वाली सामग्रियों के खर्च का ब्यौरा दर सहित लिखा जा रहा है। टेंट, गाड़ी, खाना पीना, ईधन व अन्य प्रचार सामग्री के रेट आयोग ने स्वयं ही तय किये हैं। आयोग ने प्रत्याशियों के प्रचार में लगने वाली गाड़ियों का किराया सरकारी दर के अनुसार लगाने के निर्देश दिये हैं। जबकि प्रत्याशियों का मानना है कि लोकल में गाड़ी का किराया इतना नहीं है। आयोग ने ज्यादा किराया दर्ज किया है। चुनावी खर्च पर निगरानी रखने के लिए आयोग ने कड़ा पहरा बैठा दिया है।

चुनाव प्रचार के दौरान कितना पैसा कहां खर्च हो रहा है, इसके लिए व्यय प्रेक्षक नियुक्त किये गये है। आयोग को रिपोर्ट भेजने के लिए रजिस्टर पर प्रत्येक विधानसभावार प्रत्याशियों का व्यय ब्यौरा दर्ज किया जा रहा है। इसी प्रकार एक रजिस्टर प्रत्याशी के पास होता है जिसमें उसे स्वयं के खर्च का हिसाब किताब लिखना होता है। बीच-बीच में प्रेक्षक के तलब करने पर वह रिकार्ड उसे दिखाना पड़ता है।