फर्रुखाबाद: सदर विधानसभा से बसपा प्रत्याशी मो उमर खान की विधानसभा चुनाव लड़ने के ली प्रत्याशिता खतरे में है| कानूनविदों और सविधान विशेषज्ञों की माने तो यदि मो उमर खान अपने राजकीय ठेकेदारी के कामो के अधूरे न होने का प्रमाण पत्र नहीं दे पाए तो मो उमर खान चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किये जा सकते है| रिटर्निंग अफसर की हैन्डबुक के अनुसार किसी भी प्रत्याशी की योग्यता ठहराने के लिए दिए गए निर्देशों में इस प्रकार की योगता को स्पष्ट किया गया है| विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अंतिम फैसला रिटर्निंग अफसर को लेना है और फैसला लेने में उनकी खुद की साख भी दाव पर होगी|
मो उमर खान को बसपा की टिकेट पर चुनाव लड़ना महगा पड़ रहा है| करोडो रुपये खर्च करके टिकेट का जुगाड़ करने के बाद दलित और मुसलमान वोट बैंक के सहारे अपनी नैया पार लगाने में संकट महसूस कर रहे उमर के सामने नया संकट है| उनके पर्चे पर अपरोक्ष रूप से केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद ने ग्रहण लगा दिया है| सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक प्रतिनिधि मंडल ने रिटर्निंग अफसर के सामने आज जो दलीले देकर उमर का परचा निरस्त करने की दरखास्त की है वे काफी दमदार है| आरोप है कि उमर यूपी के राजकीय ठेकेदार है और उन्होंने अपने काम पूरे किये बिना चुनाव लड़ने का परचा दाखिल किया है| जनप्रतिनिधि कानून 1951 एक्ट के सेक्शन 9अ अनुसार कोई भी राजकीय ठेकेदार जिसका कोई काम प्रगति पर है और पूरा नहीं हुआ है चुनाव नहीं लड़ सकता| यदि किसी ठेकेदार का काम एक पक्ष से पूरा हो गया है यानि यदि ठेकेदार ने अपनी और से पूरी सप्लाई या सड़क/निर्माण कार्य पूरा कर दिया है मगर सरकार की और से भुगतान लंबित है तो वो काम ऐसी श्रेणी में नहीं आएगा|
सूत्रों के अनुसार देर रात तक डाक बंगले में इस प्रकरण पर माथापच्ची चल रही थी| अंग्रेजी समझ में नहीं आई तो हिंदी की किताबे ढूंढी गयी| कानूनी सलाह ली गयी और लखनऊ से लेकर बसपा के बड़े नेताओ से भी मंत्रणा हुई है| जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी भी इस मामले में माथापच्ची में जुटे रहे| वैसे प्रदेश में बसपा की सरकार कि वापसी की कम होती सम्भावना की बात भी इस मामले में निर्णय लेने में बड़ा रोल रखेगी|
कहा जा रहा है कि उपरोक्त आपत्ति के बाद रिटर्निंग अफसर ने सत्ता के दबाब मानते हुए बसपा प्रत्याशी को एक चांस दो दे ही दिया है| रिटर्निंग अफसर ने बसपा प्रत्याशी को कल शुक्रवार तक ११ बजे का समय अपना जबाब दे दिया है| जबकि जब उनके पास उमर के काम अधूरा या पूरा न होने का कोई प्रमाण पत्र मौजूद नहीं था तो वे इसे निरस्त कर सकते थे| अब अगर कल ११ बजे तक मो उमर इस प्रमाण पत्र को देने में कामयाब हो जाते है कि सरकार के यहाँ उनका कोई काम अधूरा नहीं है तो उनका परचा निरस्त नहीं होगा, भले ही वे झूठा प्रमाण पत्र दे दे क्यूंकि प्रमाण पत्र झूठा या सच्चा होने का दावा बाद में होगा| आम चर्चा है कि अब एसडीएम् सदर ए के लाल जो खुद को बहुत दूध का धुला बताते है उनकी खुद की साख दाव पर लग गयी है|