चुनाव आयोग में कांग्रेसियों ने किया खुर्शीद का बचाव

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अल्पसंख्यक आरक्षण मसले पर कानून मंत्री सलमान खुर्शीद को नोटिस पर कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के समक्ष सफाई पेश की और अपने मंत्री का समर्थन किया। इस मसले पर 19 जनवरी को कांग्रेस आयोग के सामने पेश होकर फिर तफसील से जिरह करेगी। इसी दिन तीनों चुनाव आयुक्त इस मामले की सुनवाई करेंगे।

 

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने महासचिव दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से मुलाकात की। उनके साथ गए पार्टी प्रवक्ता व अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने नोटिस पर कांग्रेस की आपत्ति पर अपने बिंदु रखें। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आरक्षण के संबंध में खुर्शीद ने जो जिक्र किया है वह चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तारीखों की घोषणाओं से काफी पहले का है और यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करता। उन्होंने यह भी दलील दी कि कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में भी सब-कोटा का वादा किया गया है। चुनाव आयोग से भेंट करने के बाद सिंघवी ने कहा, सलमान खुर्शीद को दिए गए नोटिस के मद्देनजर हमने काफी मजबूत तर्क दिए हैं। गौरतलब है कि मुसलमानों के लिए नौ फीसदी आरक्षण का वादा करने के कारण विवादों से घिरे कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुइस खुर्शीद को 10 जनवरी को चुनाव आयोग ने कारण बताओ नोटिस दिया था। कानून मंत्री ने फर्रुखाबाद में अपनी पत्नी लुइस के समर्थन में वोट मांगते हुए वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी राज्य में सत्ता में आती है तो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मौजूदा 27 फीसदी कोटे में से मुसलमानों के लिए कोटा बढ़ा कर नौ प्रतिशत कर दिया जाएगा।

 

चुनाव आयोग में सलमान खुर्शीद पर सफाई देने के साथ ही कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने मायावती के तीन शीर्ष अधिकारियों कैबिनेट सचिव शशांक शेखर, प्रमुख सचिव कुंवर फतेह बहादुर और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल पर बसपा कार्यकर्ता की तरह काम करने का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की। उन्होंने कुछ दस्तावेज भी आयोग को उपलब्ध कराए। बाद में कांग्रेस प्रवक्ता सिंघवी ने मायावती पर प्रहार किया कि उत्तर प्रदेश में जिस तरह मायावती ने अपने आधे विधायकों को टिकट नहीं दिया है, उससे साफ है कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों और हार की आशंका से डरी हुई हैं। इससे यह भी पता चलता है कि पिछले पांच वर्षो के दौरान सत्ता में आपके पास 50 प्रतिशत ऐसे लोग थे जिन्होंने लोगों के लिए कुछ नहीं किया और भ्रष्ट हैं इसलिए बसपा सरकार को अवश्य ही उखाड़ फेंकना चाहिए। उन्होंने फतेहपुर में हाल ही में एक लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या की निंदा की।