फर्रुखाबादः विधानसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता को ताक पर रखकर किसी प्रकार चुनाव जीतने की जुगत में लगे प्रत्याशियों के बीच प्रशासन अपने सीमित संसाधानों के चलते कठपुतली की तरह नाच रहा है। कंपिल से खुदागंज तक अनेक सार्वजनिक व सरकारी भवनों पर प्रत्याशियों की प्रचार सामग्री का कब्जा है। वाहनों में भर कर झंडे व टोपियां गांव गांव पहुंचायी जा रही हैं।
जिलाधिकारी ने कई बार प्रत्याशियों को आचार संहिता का उल्लंघन न करने की हिदायत दी थी। लेकिन प्रत्याशी इसके बावजूद भी प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर जगह-जगह भण्डारे, टोपी वितरण, बैनर, झण्डा वितरण करने से बाज नहीं आ रहे। प्रशासन आचार संहिता व प्रत्याशियों के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश पर लगा है। मात्र एक-दो गाड़ियों का पास बनवाकर प्रत्याशी दर्जनों वाहनों से प्रचार करते देखे जा रहे है। लेकिन प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है।
नामांकन की तारीख आने में अभी तकरीबन एक सप्ताह ;से अधिक समय बाकी है, लेकिन प्रत्याशी अभी से ही चुनाव प्रचार में कोई कमी छोड़ना नहीं चाह रहे हैं। प्रत्याशी प्रशासन की आंखों में धूल कुछ इस तरह झोंक रहे हैं कि सुबह नेता जी जब प्रचार के लिए निकलते हैं तो उनके साथ मात्र दो वाहन ही होते हैं और जिनका पास उनके शीशे पर लगा होता है। बाकी लोगों को रास्ते में तैयार कर लिया जाता है। जिस गांव में प्रचार के लिए घुसते हैं उस गांव में आकर सभी गाड़ियां इकट्ठी हो जाती हैं और गांव से निकलने के बाद सभी गाड़ियां तितर-बितर हो जाती हैं। जिससे प्रशासन को कानोकान खबर भी नहीं होती और प्रत्याशी का काम भी हो जाता है।
वाल पेंटिंग की पुताई के नाम पर प्रत्याशी जमकर मजाक बना रहे हैं। फर्रुखाबाद से कायमगंज तक सड़कों के किनारे बस स्टाप, दीवारों पर प्रत्याशियों का चुनाव चिन्ह व नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है। कहने को तो प्रशासन ने सारी बाल पेंटिंगे पुतवा दी हैं लेकिन दिखाये गये चित्र में प्रशासन की कार्यप्रणाली ऐसे उजागर हो रही है जैसे पुताई के नीचे से प्रत्याशी का नाम। जहां पर अभी प्रशासन ने नजर तक नहीं डाली।
कहीं प्रत्याशी वोटरों को टोपी पहनाने में जुटे हैं तो कहीं झण्डे के नीचे लाने में। लंच पैकिट का तो पूछिये ही मत। सुबह से ही लंगर जैसा माहौल हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में दोनो हाथों से प्रचार सामग्री बांटी जा रही है।