फर्रुखाबाद और आस पास 5 जिलों में बसपा ने नहीं उतारा ब्रह्मण प्रत्याशी?

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फर्रुखाबाद: सोशल इंजीयरिंग के फार्मूले पर उत्तर प्रदेश में बहुमत की सरकार बना चुकी बहुजन समाज पार्टी ने वर्ष 2012 के आम चुनाव में फर्रुखाबाद और उसकी सीमा से सटे 5 जनपदों में कोई भी ब्रह्मण प्रत्याशी नहीं उतारा| जबकि भाजपा इन जगहों पर 5, कांग्रेस ने 4 समाजवादी पार्टी ने 3 ब्रह्मण प्रत्याशियो को चुनाव मैदान में उतारा है| फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी और एटा में सबसे ज्यादा पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी चुनाव मैदान में है| मजे की बात है किसी भी पार्टी ने इन पाचो जिलों में सुरक्षित सीट को छोड़ कर एक भी सामान्य सीट से किसी भी दलित को टिकेट नहीं दिया है|

जातीय समीकरणों के लेखा जोखा में उलझे राजनितिक दलों के टिकेट वितरण इंचार्ज इन दिनों सिर्फ कद्दावर और जातीय आंकड़ो से लबरेज बायोडाटा की तलाश में हैं| राजनीति के अखाड़े से साफ़ सुथरी छवि का पैमाना छलक चुका है, जातीय भोजो की तैयारी का दौर गाँव गाँव चल निकला है| बसपा से निष्काषित पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने निष्कासन के बाद फर्रुखाबाद में पहली बार भाजपा के पक्ष में जनसभा करते हुए ये खुलासा तो किया कि मायावती पिछड़ी या अन्य जातियों की तरक्की पर खुश नहीं होती है मगर सियासत के खेल में सबसे ज्यादा भरोसा पिछड़े वर्गों पर ही है| ये चाहे जनसँख्या की बहुलता की वजह हो या फिर कुछ और| शायद इसीलिए बाबूसिंह कुशवाह की इस बात में भी दम नहीं दिखती है कि बसपा सिर्फ वोट के लिए अन्य जातियों को भीड़ के लिए बुलाती है| फर्रुखाबाद और उसके आस पास के जिलों की 28 सीटो में से एक भी ब्रह्मण प्रत्याशी न उतरना बाबू सिंह कुशवाहा की बात को झुठलाने के लिए क्या काफी नहीं है|