अब तक किसी औपचारिक संगठन के गठन से बचते रहे अन्ना पहली बार हर वार्ड और गांव में अपनी शाखा और कार्यकर्ता तैयार करेंगे। इसके अलावा दस रुपये देकर लोग एक साल के लिए अन्ना कार्ड भी ले सकेंगे। यह संगठन की सदस्यता तो होगी ही, मोबाइल पर एक साल तक उनका संदेश पाने की फीस भी। पांच राज्यों के चुनाव प्रचार में जाने पर वे अंतिम फैसला मंगलवार को अपने सहयोगियों प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास के साथ बातचीत के बाद ही करेंगे।
सख्त लोकपाल के लिए अन्ना ने आंदोलन चलाया तो देश भर से बड़ी तदाद में लोग उनसे जुड़े। लेकिन पूरा आंदोलन अनौपचारिक तौर पर ही चलता रहा। पहले से चल रही सोसाइटी इंडिया अगेंस्ट करप्शन इसका सचिवालय बनी और लोग अनौपचारिक तौर पर जुड़ते रहे। अगस्त के आंदोलन से ठीक पहले सिर्फ दो दर्जन लोगों की एक कोर कमेटी गठित की गई, जिसे मीडिया ने टीम अन्ना का नाम दिया। अब पहली बार तय किया गया है कि देश के हर गांव और शहर के हर वार्ड में अपने कार्यकर्ता हों। इनके जरिए इलाके के लोगों तक पहुंचा जा सके। इन सक्रिय स्वयंसेवकों के अलावा देश भर में सदस्य भी बनाए जाएंगे। सदस्यता के लिए भी अनोखा तरीका अपनाया गया है। दस रुपये में कोई भी अन्ना कार्ड खरीद कर यह सदस्यता ले सकेगा। यह कार्ड एक स्क्रेच कूपन होगा, जिसके जरिए एक साल तक अपने मोबाइल पर अन्ना के संदेश मिलते रहेंगे। अन्ना के करीबी सूत्रों का दावा है कि यह ढांचा सिर्फ अन्ना और जनता के बीच वैचारिक पुल का काम करेगा। हर हफ्ते अन्ना की बातें एक पर्चे के रूप में वेबसाइट पर डाली जाएंगी। हर गांव और वार्ड के कार्यकर्ता उनका प्रिंट लेकर इलाके के लोगों को बाटेंगे और फिर साप्ताहिक बैठक में उन पर चर्चा होगी। इस बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी, यह पूछने पर उनके एक वरिष्ठ सहयोगी कहते हैं कि हमें उम्मीद थी कि सरकार जन लोकपाल की कम से कम 60-70 फीसद बातें मान लेगी और हमारा मकसद पूरा होगा। लेकिन सरकार तो आंदोलन का इस्तेमाल उल्टा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली व्यवस्था बनाने के लिए कर रही है। ऐसे में यह साफ है कि अब हमें लंबी लड़ाई लड़नी होगी। सोमवार को कोर कमेटी की बैठक में इस पर मुहर भी लग गई है। कोर कमेटी के तीन सदस्य अन्ना से मुलाकात करने मंगलवार को उनके गांव रालेगण सिद्धि पहुंचेंगे।