फर्रुखाबाद: राजनीती में आयाराम गयाराम का दौर तो वोट पड़ने तक चलेगा मगर पिछले घर को छोड़ नए घर में आये नेताओ का पहला मन्त्र होता है कि जिस घर को छोड़ आये कम से कम वो तो नेस्तनाबूद हो ही जाए| वैसे फर्रुखाबाद की राजनीति का ये इतिहास भी रहा है कि यहाँ जनता भी किसी को जिताने के लिए नहीं हारने के लिए वोट करती रही है| बसपा से टिकेट काटने के बाद बाबू सिंह कुशवाहा के शिष्य नागेन्द्र शाक्य भी इसी राह पर चल निकले है| हाथी से उतरने के बाद समाजवादी पार्टी की साइकिल पर चढ़ कर वो चारो विधानसभा में सपा को जिता कर अखिलेश को मुख्यमंत्री बना देखना चाहते है|
नागेन्द्र शाक्य शाक्य कुशवाहा मौर्या सैनी समाज से है| उनकी जाति का वोट भी फरुखाबाद जनपद की चारो विधानसभा सीटो पर ठीक ठाक है| इसीलिए वे चारो विधानसभा में शाक्य जाति के स्टार प्रचारक के रूप में देखे जा रहे हैं| वैसे जनता की चुनावी अदालत में वोट लेना और वोट दिला देना दोनों में जमीन आसमान का अंतर होता है मगर उत्तर प्रदेश जैसे पिछड़े प्रदेश में जाति का माहौल चुनाव का बड़ा गणित होता है| शायद यही माहौल उत्तर प्रदेश की राजनीति का असली गणित बाकी सब बेकार के मुद्दे|
हाथी को भगाने के इरादे कर चुके नागेन्द्र शाक्य का चुनावी क्षेत्रो में समाजवादी पार्टी दुल्हे जैसा स्वागत करवा रही है| अभियान की शुरात नागेन्द्र ने भोजपुर विधानसभा से की है| कमालगंज नगर क्षेत्र के एक कोल्ड स्टोर में उनका जोरदार स्वागत सपा प्रत्याशी जमालुदीन सिद्दीकी, अरशद जमाल सिद्दीकी, और ब्लाक प्रमुख रशीद जमाल सिद्दीकी सहित सैकड़ो सपा कार्यकर्ताओ ने किया| इस मौके पर नागेन्द्र ने कहा कि अब उनका एक ही उद्देश्य बचा है हाथी को भगाना और समाजवादी पार्टी के चारो प्रत्याशियो को जीतकर विधानसभा में भेजना| नागेन्द्र ने कहा कि बाकी जगह वोट देना भी व्यर्थ है क्यूंकि सरकार भी तो समाजवादी पार्टी की बनने जा रही है| उन्होंने अपील की कि जनता अपना वोट बेकार न करे जो सरकार बनाने जा रहा है उसकी जीत बड़ी करे|