शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की मेरिट के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग में हो रही 72 हजार 825 सहायक अध्यापकों की भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। न्यायालय ने कहा है कि 30 नवंबर को बोर्ड की तरफ से जारी विज्ञापन में प्रदेश के समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों का जिक्र किया गया है जो प्रथम दृष्टया नियम 14 के विपरीत है। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए न्यायालय ने 11 जनवरी की तिथि नियत की है। कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को अगली तिथि पर उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने वाराणसी के कपिल देव यादव और लाल बहादुर की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। याची के अधिवक्ता ने मुद्दा उठाया कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) नियमावली के नियम 14 के अंतर्गत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को ही सहायक अध्यापकों की नियुक्ति/चयन का विज्ञापन जारी करने का अधिकार है। समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का उल्लेख कर बोर्ड के सचिव की तरफ से विज्ञापन जारी किया जाना नियमों का उल्लंघन है। ऐसे में 30 नवंबर को जारी विज्ञान निरस्त करने योग्य है क्योंकि बोर्ड को विज्ञापन जारी करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने याची का पूरा तर्क सुनने के बाद अगली सुनवाई तक नियुक्ति पर अंतरिम रोक लगा दी है।
ज्ञात रहे कि बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए टीईटी पास अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे। टीईटी में प्रदेश भर से 11 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे जिसमें प्राथमिक स्तरीय परीक्षा में ढाई लाख अभ्यर्थी सफल हुए थे। कोर्ट के निर्देश पर अभ्यर्थियों को सभी जिलों में आवेदन करने की अनुमति मिली थी। ज्यादातर अभ्यर्थियों ने 40 से 50 जिलों में आवेदन किए जिसके कारण सोमवार तक जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थानों में लगभग एक करोड़ आवेदन पहुंच चुके थे।