माता वैष्णो देवी के दरबार में बुधवार शाम एक नया रिकार्ड बन गया। जयपुर के डॉ. राकेश विश्वकर्मा जैसे ही ‘माता रानी’ के दर्शन के लिए पर्ची के जरिये पंजीकृत हुए, वे इस वर्ष यहां आने वाले एक करोड़वें श्रद्धालु बन गए। पहली बार माता के दरबार में एक साल के अंदर एक करोड़ लोग पहुंचे हैं। श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने जब विश्वकर्मा को एक करोड़वें श्रद्धालु बनने की सूचना दी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
विश्वकर्मा और उनके परिवार को श्राइन बोर्ड ने पांच साल तक दर्शनों के लिए विशेष अतिथि का सम्मान दिया है। इस वर्ष मंगलवार तक 99.75 लाख भक्त प्राकृतिक पिंडियों के दर्शन कर चुके थे। शाम को एक करोड़वें यात्री के रूप में राकेश विश्वकर्मा का नाम दर्ज होते ही कीर्तिमान बन गया। श्राइन बोर्ड ने जयपुर के विद्याधर नगर निवासी डॉ. राकेश विश्वकर्मा और उनकी पत्नी डॉ. मीनू को मां वैष्णो देवी की तस्वीर और चुनरी देकर सम्मानित किया। राकेश पत्नी के अलावा दोनों बेटियों देवयानी व कृतिका को भी दर्शन के लिए साथ लाए हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 में 67.92 लाख, 2009 में 82.34 लाख और 2010 में 87.49 लाख श्रद्धालुओं ने माता के भवन में माथा टेका था। वर्ष 2011 में फरवरी में सबसे कम 2.25 लाख व जून में सर्वाधिक 11.18 लाख भक्त यहां दर्शन को पहुंचे थे। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी नवंबर में वैष्णो देवी के दरबार में हाजिरी दी। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी वैष्णो देवी के दर्शन को आ चुके हैं।
श्राइन बोर्ड के अतिरिक्त कार्यकारी अधिकारी मनदीप भंडारी का कहना है कि बोर्ड द्वारा दी जा रही सुविधाओं के कारण भक्तों की संख्या में हर वर्ष भारी वृद्धि हो रही है। मां वैष्णो देवी के एक करोड़वें भक्त बने राकेश विश्वकर्मा ने बताया कि यहां दर्शन को आने की राह में कई बार अड़चनें आईं। ट्रेन का रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं हो रहा था। वहीं, जम्मू से कटड़ा पहुंचने के लिए टैक्सी ने भी काफी देरी की। शायद मां भगवती ने तय कर रखा था कि मुझे ही एक करोड़वें भक्त बनने का सम्मान मिले। मां के दरबार आने की योजना बनाने के बाद हर क्षण ऐसा लग रहा था कि दर्शन को जा पाएंगे या नहीं, लेकिन देरी होने में भी कोई कारण छुपा था।