बिलासपुर।आरपीएफ अधिकारी का जूता साफ न करना एक जवान को इतना महंगा पड़ गया कि नौकरी पर बन आई। अधिकारी ने जवान को प्रताड़ित करने के लिए सुबह 5 बजे बंगला ड्यूटी पर बुलाया।
जवान समय पर पहुंच गया, फिर भी उसे लेट आने की बात कहते हुए उसके निलंबन का फरमान सुना दिया गया। नवपदस्थ अधिकारी के इस रवैये से पूरे आरपीएफ खेमे में नाराजगी है, लेकिन प्रताड़ना के डर से विरोध में कोई आगे नहीं आ रहा।
बिलासपुर रेल मंडल में नवपदस्थ आरपीएफ अफसर इन दिनों रेस्ट हाउस में रह रहे हैं। साहब और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए बंगले की तर्ज पर रेस्ट हाउस में भी जवानों की तैनाती की जा रही है। बीते रविवार को एक जवान सुबह 7 बजे से रात 7 बजे तक चौकसी में लगा रहा।
इसी दिन शाम 6 बजे साहब की पत्नी ने जवान को बुलाया और कमरे के बाहर रखे जूतों को अंदर करने और गंदा दिखने वाले जूते को पॉलिश करने का फरमान सुनाया। रेल संपत्ति के अलावा यात्रियों की सुरक्षा के लिए वर्दी पहनने वाले जवान को साहब का जूता साफ करना नागवार गुजरा।
उसने मैडम से साफ कह दिया कि जूता उठाना वर्दी का अपमान है, इसलिए उससे और कोई काम करा लीजिए। यह जवाब मैडम को रास नहीं आया। इस बीच जवान ड्यूटी से घर चला गया। रात 12:40 बजे जवान को आरपीएफ कंट्रोल से मैसेज किया गया कि उसे सुबह 5 बजे साहब के कमरे के बाहर हाजिरी देनी है।
जवान सुबह 4:45 बजे रेस्ट हाउस पहुंच गया और कमरे के बाहर खड़ा हो गया और अधिकारी के जागने का इंतजार करने लगा। वे सुबह 5:15 बजे कमरे से बाहर आए और घड़ी पर नजर डाली। इसके बाद जवान पर 15 मिनट लेट आने को लेकर बरस पड़े। जवान कुछ कह पाता, इससे पहले ही वे बोल पड़े ‘समय पर न आना अनुशासनहीनता है, जिसके कारण तुम्हे सस्पेंड किया जाता है’।
जवान आरपीएफ पोस्ट लौट आया और वह आज तक सस्पेंड कर्मचारी की तरह आरपीएफ पोस्ट में उपस्थिति दर्ज करा रहा है। नवपदस्थ अधिकारी की इस हिटलरशाही की चर्चा आरपीएफ के एक-एक जवान की जुबां पर है, लेकिन डर ऐसा है कि सभी गूंगे-बहरे बन गए हैं। जवान को कार्रवाई की कोई पुख्ता वजह भी नहीं बताई गई, जिससे नौबत निलंबन तक पहुंच सके।
अनुशासनहीनता करने वाले जवानों पर कार्रवाई सामान्य बात है। इस जवान के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। भला कोई अधिकारी किसी जवान से जूता कैसे साफ करा सकता है? यह सब फिजूल की बातें हैं।