भ्रष्टाचार के खिलाफ मारक हथियार के रूप में लाया जा रहा लोकपाल संसद से ऊपर नहीं होगा। टीम अन्ना चाहे जो कहे, लेकिन सरकार ने संसद में पेश किए जाने के लिये लोकपाल का जो मसौदा तैयार किया है उसके मुताबिक संसद के पास लोकपाल के खिलाफ महाभियोग लाने का अधिकार होगा। प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में कुछ शर्तो के साथ लाया जाएगा, लेकिन उनके खिलाफ मामला दर्ज करना आसान नहीं होगा। सरकार ग्रुप सी और सीबीआइ को लोकपाल के दायरे में लाने की मंशा नहीं दिख रही है। अलबत्ता लोकपाल को इसी सत्र में पारित कराने के लिए संसद सत्र 29 दिसंबर तक बढ़ाने का विचार कर रही है। सरकार लोक पाल के सदस्यों में 50 फीसदी एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग से मनोनीत करने के साथ ही सदस्यो का चुनाव करने वाली समिति में भी इतने ही फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव कर सकती है ।
लगभग तैयार हो चुके लोकपाल के मसौदे के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों को छोड़कर प्रधानमंत्री का भ्रष्टाचार भी लोकपाल के दायरे में होगा, लेकिन उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए लोकपाल को तीन चौथाई बहुमत चाहिए होगा। यानी जब नौ सदस्यीय लोकपाल बेंच के कम से कम सात सदस्य एकमत हों तभी पीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एफआइआर दर्ज होगी। लोकपाल के किसी गलत काम के खिलाफ संसद में महाभियोग लाने का अधिकार सांसदों को दिया गया है। इसके लिए 100 सांसदों को अपील करनी होगी। टीम अन्ना की प्रमुख मांग सीबीआई और ग्रुप सी को लोकपाल के दायरे में रखने की मांग सरकार अपने मसौदे में नहीं रख रही है। सर्वदलीय बैठक में इन मुद्दों पर मतभेद के बाद सरकार ने सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति में विपक्ष और लोकपाल की भूमिका को शामिल कर दिया है, लेकिन वह स्वायत्त संस्था ही रहेगी। सीबीआई निदेशक की नियुक्ति प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और लोकपाल मिलकर करेंगे, मगर उसके प्रशासनिक कार्यो और जांच के काम की निगरानी का अधिकार लोकपाल का नहीं होगा। ग्रुप सी की निगरानी का जिम्मा सीवीसी के पास ही रखा गया है। उसका लोकपाल से कोई लेना-देना नहीं होगा। लोकपाल मसौदे में एससी-एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की बात भी शामिल है। टीम अन्ना की प्रमुख मांगों को न मानने वाली सरकार उससे सड़कों पर टकराव टालने के लिए संसद का सत्र क्रिसमस की छुट्टी के बाद तक बढ़ा सकती है। दरअसल सरकार को नियत तिथि यानी 22 दिसंबर तक सदन में लोकपाल विधेयक पारित होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है। इसलिए प्रस्ताव है कि 26 तक क्रिसमस की छुट्टी के बाद 27 से 29 दिसंबर तक सत्र चलाया जाए।