अपने चहेतों को ही ठेका देने की जुगत में परिवहन विभाग ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के करोड़ों रुपये के इस काम के लिए ऐन वक्त पर टेंडर की शर्त में बदलाव कर दिया है। जिससे नंबर प्लेट का मामला अंजाम तक पहुंचने के बजाए हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट के निर्देश पर प्रदेश सरकार अब जवाब देने की तैयारी कर रही है।
प्रदेश में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट योजना लागू करने में कई साल गुजर गए, और परिवहन विभाग में कई अफसर बदल गए हैं। लेकिन इस योजना का शुरू होना तो दूर अभी तक नंबर प्लेट बनाने वाली कंपनी का चयन तक नहीं हो सका है। निर्माण का ठेका चहेतों को दिये जाने की कवायद में टेंडर प्रक्रिया ही बदल गयी। अब प्रक्रिया ही विवादों के घेरे में है। बदलाव के विरोध में कई कंपनियां अब न्यायालय की शरण में चले गये हैं।
विदित है कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस योजना को जल्द लागू करने के लिए कह चुका है। तब सरकार ने टेंडर प्रक्रिया आगे तो बढ़ाई लेकिन खास कंपनियों को फायदा पहुंचाने व बाकी कंपनियों को रेस से बाहर करने के लिए ऐसी शर्तें ऐन मौके पर जोड़ दी गईं जो विवाद का सबब बन गईं। मसलन, टेंडर दस्तावेज में टेंडर खुलने के एक दिन पहले यह शर्त जोड़ दी गई कि इसमें वही कंपनियां भाग ले सकती हैं जिन्हें इस क्षेत्र में एक साल का कार्य करने का अनुभव हो। चूंकि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने का काम ही कुछ राज्यों में कुछ समय पहले शुरू हुआ है ऐसे में दो को छोड़कर बाकी सात कंपनियां पहले ही दौड़ से बाहर हो गईं। केवल दो ही कंपनियां शिमनिट व टॉंजेस ईस्टर्न सिक्योरिटी ही टेक्निकल बिड क्वालीफाई कर पाईं। अब इन दोनों कंपनी के बीच फाइनेंसियल बिड होनी है। जो कंपनियां नई शर्त जोड़े जाने के कारण पहले दौर में ही बाहर हो गईं। वे हाईकोर्ट चली गईं। सरकार के जवाब आने के बाद हाईकोर्ट इस मामले में अपना निर्णय देगा।
माना जा रहा है कि अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो उपरोक्त दोनों कंपनियों में से किसी एक को ही ठेका मिलेगा। चूंकि दोनों के मालिक एक ही बताए जाते हैं। इसलिए मनचाही कंपनी को ठेका दिए जाने की चाहत पूरी होने की संभावना है।