विधानसभा चुनाव: रिश्वत लेने व देने पर होगी एफआईआर

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विधानसभा चुनाव में रिश्वत देने ही नहीं लेने वालों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। रिश्वत देने-लेने की सूचना मिलने पर रिटर्निंग आफीसर रिश्वत की वस्तुएं जब्त करके दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए इसकी एक प्रति सहायक व्यय प्रेक्षक को भेजेंगे।
चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही जिला स्तर पर व्यय अनुश्रवण नियंत्रण कक्ष व कॉल सेंटर काम करना शुरू कर देगा। राज्य स्तर पर स्टेट मीडिया मॉनीटरिंग सेल की स्थापना की जाएगी। गांवों एवं मजरों में मतदाताओं को डराने-धमकाने वाले दबंग लोगों को चिह्नित करके उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की रणनीति बनाई गई है। 23 दिसंबर को लखनऊ में एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी जिसमें हाल ही में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां के अधिकारियों के अलावा प्रदेश के चुनाव, पुलिस, आबकारी, आयकर व अन्य संबंधित विभागों केअधिकारी शामिल होंगे।

आगामी विधानसभा चुनाव में कानून-व्यवस्था तथा चुनाव खर्च की निगरानी के लिए उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा के लिए गुरुवार को पुलिस, आबकारी, आयकर तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान मुख्य निर्वाचन अधिकारी उमेश सिन्हा ने यह जानकारी दी।

सिन्हा ने कहा कि चुनाव की अधिसूचना की तारीख से प्रत्याशियों खर्च की निगरानी शुरू कर दी जाएगी। जिला स्तर पर स्थापित व्यय अनुश्रवण नियंत्रण कक्ष व कॉल सेंटर में एक टोल फ्री तथा तीन-चार हंटिंग लाइनयुक्त टेलीफोन अनवरत चालू रहेंगे जिससे लोग चुनाव सबंधी शिकायतें आसानी से दर्ज करा सकें। नियंत्रण कक्ष व कॉल सेंटर की जिम्मेदारी वरिष्ठ अधिकारी को सौंपी जाएगी जो शिकायतें प्राप्त करके रिकार्ड करेगा और तत्काल संबंधित अधिकारी को कार्रवाई के लिए भेजेगा। वीडियो सर्विलांस टीमों के जरिये चुनाव खर्च पर निगाह रखी जाएगी।

सिन्हा के मुताबिक व्यय और आदर्श आचार संहिता से संबंधित मामलों की की पहचान के लिए वीडियो रिकार्डिंग देखकर लेखा टीम व सहायक व्यय प्रेक्षक को रिपोर्ट भेजी जाएगी। शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए ऐसे क्षेत्रों को पहले से चिह्नित किया जाएगा जहां दबंग या प्रभावशाली लोगों द्वारा वोटरों को डराने-धमकाने की संभावना है।

सिन्हा ने पुलिस अधिकारियों को चुनाव में धनबल व बाहुबल के इस्तेमाल पर अंकुश की योजना बनाने का निर्देश देते हुए कहा कि जिलों में पुलिस अधिकारियों की क्षमता वृद्धि एवं चुनाव संबधी प्रशिक्षण की कार्ययोजना भी तैयार की जाए। जिलों में भी मास्टर ट्रेनरों द्वारा प्रशिक्षण दिलाया जाए।

उन्होंने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में उड़न दस्ते केअलावा स्थानीय मशीनरी पर नजर रखने के लिए दूसरे राज्यों के पुलिस अफसरों को प्रेक्षक के रूप में तैनात करने का भी सुझाव दिया। बैठक में अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी मृत्युंजय कुमार नारायण, गृह सचिव दीपक कुमार, एडीजी कानून-व्यवस्था सुबेश कुमार सिंह, आईजी कानून-व्यवस्था भावेश कुमार सिंह, डीआईजी निर्वाचन आशुतोष पाण्डेय, संयुक्त निदेशक आयकर अजय प्रताप सिंह समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।