अगले कुछ महीनों में चुनावी फायदे के मद्देनजर कांग्रेस मुस्लिम आरक्षण को लेकर भले ही जल्दी में हो, लेकिन केंद्र के लिए यह आसान नहीं होगा। पिछड़ों के कोटे में से ही एक और कोटा क्यों? यह सवाल फिर उठने लगा है। ऐसे में सरकार ने नौकरियों में पिछड़ों के आरक्षण से ही मुसलमानों का अलग से कोटा तय किया तो उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती की तैयारी है|
सरकारी नौकरियों में पिछड़ों के 27 प्रतिशत कोटे में से ही अति पिछड़ों को अलग से आरक्षण का विरोध करने पर दस साल पहले उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद गंवा चुके अशोक यादव फिर सक्रिय हो गए हैं। उत्तर प्रदेश की शिकोहाबाद सीट से निर्दलीय विधायक अशोक यादव ने कहा, मैं मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन पिछड़ों के 27 प्रतिशत कोटे में कटौती की बिना पर किसी और आरक्षण का विरोध करूंगा। सुप्रीम कोर्ट दस साल पहले उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार की ऐसी पहल पर रोक लगा चुका है।
इसके बावजूद यदि केंद्र ने मुस्लिम आरक्षण के लिए पिछड़ों के कोटे में कटौती की तो सुप्रीम कोर्ट तक जाने से पीछे नहीं हटूंगा। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहने के दौरान राजनाथ सिंह ने पिछड़ों के कोटे में से ही अति पिछड़ों को अलग से आरक्षण के लिए सामाजिक न्याय समिति बनाई थी। समिति की सिफारिश पर प्रदेश सरकार ने विधानसभा से पारित उत्तर प्रदेश लोकसेवा (अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण) संशोधन अधिनियम-2001 लागू भी कर दिया था। लेकिन, राजनाथ सरकार में पर्यटन मंत्री रहे अशोक यादव ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कुछ अन्य संगठन भी सरकार के खिलाफ कोर्ट में गए थे।
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। यादव ने कहा कि यदि केंद्र सरकार मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए वाकई गंभीर है तो उसे आरक्षण के प्रावधानों में संविधान संशोधन के जरिये यह पहल करनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक वैसे तो विभिन्न दलों में पिछड़े वर्ग की अगुआई करने वाले कई नेता भी पिछड़ों के कोटे से मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ हैं, लेकिन मुस्लिम वोटों के चलते वे खुलकर उसका विरोध नहीं करना चाहते।