MDM घोटाला- निदेशक से क्रियान्वयन व निगरानी योजना पर मांगा जवाब

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इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मिड डे मील प्राधिकरण के निदेशक को योजना के क्रियान्वयन एवं निगरानी तथा केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत फंड के उपयोग का विस्तृत ब्योरा देते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि प्राधिकरण का चौथी बार ब्योरा देने का अवसर दिया जा रहा है। यदि अब भी निदेशक हलफनामा दाखिल नहीं करते तो न्यायालय द्वारा उनके विरुद्ध प्रतिकूल अवधारणा व्यक्त की जा सकती है। याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 19 दिसंबर नियत की है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील अंबवानी तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खंडपीठ ने मैनपुरी के मेसर्स सोसायटी फार साइंस एंड इनवायनमेंट अवेयरनेस व अन्य की याचिका पर दिया है।

याचिका पर न्यायालय ने मिड डे मील प्राधिकरण के निदेशक से जवाबी हलफनामा मांगा था। इस पर जवाबी हलफनामा दाखिल न कर निदेशक की तरफ से अर्जी दी गई कि प्रकरण की जांच सीबीआइ द्वारा की जा रही है। ऐसे में अन्य कार्यवाही चलाए जाने से अंवेषण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। प्राधिकरण के हलफनामे में बताया गया कि मिड डे मील का फंड, विद्यालय के हेडमास्टर के मध्याह्न भोजन निधि में भेजा जाता है। जिलाधिकारी के अनुमोदन पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा छात्रों की वास्तविक संख्या के आधार पर एनजीओ को भुगतान किया जाता है। न्यायालय ने कहा है कि मैनपुरी मिड डे मील के वितरण में व्यापक अनियमितता एवं करोड़ों के गबन मामले में योजना कार्यवाही सार्वजनिक न करने की मांग आश्चर्यजनक है। हाईकोर्ट के आदेश पर जांच चल रही है। उसने प्रगति रिपोर्ट भी सौंपी है। सरकार के अधिवक्ता ने विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए दस दिन का समय मांगा। याचिका की सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।