उत्तर प्रदेश: विपक्ष ने चुनाव आयोग से की सरकार की शिकायत

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लखनऊ। विधानसभा चुनाव के संकेत मिलने के साथ ही निर्वाचन आयोग के पास सरकार की शिकायतें आनी शुरू हो गयी। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री मायावती पर सरकारी मशीनरी का दुरुप्रयोग करने का आरोप लगाया है और कहा है कि प्रशासनिक अधिकारी बसपा एजेन्ट के रूप में कार्य कर रहे हैं। चुनाव आयोग से आठ राजनीतिक दलों ने मुलाकात कर निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए शिकायतें और सुझाव दिये। राज्य में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी पर सरकारी मशीनरी के दुरुप्रयोग का आरोप लगाया और इसे रकवाने की मांग की।

विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक अम्बिका चौधरी, पूर्व मंत्री वकार अहमद और सपा नेता राजेन्द्र चौधरी के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधिमण्डल का कहना था कि मंत्रिमंडलीय सचिव शशांक शेखर ङ्क्षसह, गृह विभाग के प्रमुख सचिव कुंवर फतेह बहादुर और पुलिस महानिदेशक बृजलाल बसपा के कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं और ये बसपा के प्रवक्ता बन गए हैं। सपा ने लखनऊ के मण्डलायुक्त प्रशान्त त्रिवेदी के साथ ही कुछ अन्य अधिकारियों की शिकायतें आयोग से की। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने फरवरी में चुनाव कराने का आग्रह किया जबकि इन दोनों दलों के साथ ही राष्ट्रीय लोकदल ने भी कुछ अधिकारियों की शिकायत की। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने चुनाव में बेतहाशा खर्च होने वाले धन को अंकुश लगाने की मांग की।

भाकपा के अशोक मिश्र ने बताया कि जब से निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन खर्च की सीमा तय कर दी है तब से पूंजीवादी राजनीतिक दलों ने चुनावी माहौल बनाने को सरकारी और गैर सरकारी धन को खर्च करने के लिए नये नये तरीके ढूंढ़ लिये हैं ताकि निर्वाचन आयोग की गिरफ्त से बचा जा सके। श्री मिश्र ने कहा कि ये दल सालों पहले अपने प्रत्याशी तय कर देते हैं जो चुनाव प्रचार में जुट जाते हैं और भारी धनराशि खर्च करते हैं। निर्वाचन प्रक्रिया की अवधि शुर न होने के कारण वे इस धनराशि को चुनाव खर्च में जोडऩे से अपने आपको बचा ले जाते हैं।