अंतरजनपदीय स्थानांतरण का ख्वाब फिलहाल न्याय विभाग ने चकनाचूर कर दिया है। न्याय विभाग ने यह कहते हुए प्रस्ताव पर आपत्ति लगा दी है कि बेसिक शिक्षा विभाग के इतिहास में शिक्षिकाओं के तबादले सामूहिक रूप से कभी नहीं हुए हैं। ऐसे में विधिक रूप से यह मामला फंस सकता है। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद शिक्षिकाओं के सामूहिक स्थानांतरण की योजना टाल दी गई है। केवल उन्हीं शिक्षकों और शिक्षिकाओं के स्थानांतरण किए जाएंगे, जिनका बहुत जरूरी होगा।
वदित है कि बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों की नियुक्ति जिला स्तर पर करता है। इनकी नियुक्ति का अधिकार बीएसए को है। नियमावली के अनुसार, शिक्षकों को पहली नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्र के सुदूरवर्ती इलाकों में दी जाती है। इसमें पुरुषों को पांच साल और महिलाओं को दो साल ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में रहना अनिवार्य है।
नियमावली की शर्तों के मुताबिक, नौकरी करने के बाद शिक्षक दूसरे जिले में स्थानांतरण करने के लिए आवेदन कर सकता है। स्थानांतरण के लिए बीएसए से सत्यापित आवेदन पत्र बेसिक शिक्षा परिषद सचिव कार्यालय इलाहाबाद भेजना होता है। प्रदेश में स्थानांतरण नीति के मुताबिक, मुख्यमंत्री मायावती ने तबादले पर रोक लगा रखी है। लेकिन बेसिक शिक्षा परिषद को एक से दूसरे जिले में स्थानांतरण के लिए 16 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
शासन स्तर पर उच्चाधिकारियों की बैठक में यह तय हुआ कि लखनऊ, गाजियाबाद, कानपुर और नोएडा में अनुसूचित जाति, जनजाति महिला शिक्षिकाओं को प्राथमिकता देते हुए अंतरजनपदीय स्थानांतरण कर दिए जाएं। लेकिन कुछ अधिकारियों की आपत्ति के बाद इसमें पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग की महिला शिक्षिकाओं को भी शामिल कर लिया गया। इसके आधार पर संशोधित प्रस्ताव में स्थानांतरण के लिए महिला शिक्षिकाओं की सूची शासन को भेजी गई।
शासन ने न्याय विभाग की अपात्ति के बाद स्थानांतरण प्रस्ताव को टाल दिया है।