लखनऊ।। सीएम मायावती ने सोमवार को साफ कर दिया कि बीएसपी विधानसभा को भंग करने की सिफारिश नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को सदन में पूर्ण बहुमत हासिल है और लेखानुदान ध्वनिमत से पारित होना विश्वास मत हासिल करने जैसा ही है।
सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टियां और केन्द्र सरकार यूपी के बंटवारे की विरोधी हैं। ये सारे दल डिवेलपमेंट वर्क में रोड़ा अटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन पार्टियों को जनता कभी माफ नहीं करेगी।
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विभाजन की बात उनकी सरकार आज से नहीं बल्कि 2007 से उठाती आ रही है। वह लगातार केन्द्र सरकार को लेटर लिखकर मांग करती आ रही हैं कि अगर यूपी में विकास की प्रक्रिया को तेज करना है, तो उसका पुनर्गठन आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि लेकिन यूपी गवर्नमेंट की मांग को कांग्रेस की यूपीए सरकार ने जानबूझ कर लटका रखा है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि उनकी सरकार को मजबूरी में यूपी के बंटवारे के विधेयक को विधानसभा से पारित करवाना पड़ा। अब केन्द्र की जिम्मेदारी है कि वह जल्द से जल्द राज्य का पुनर्गठन करे।
बीएसपी में फूट और अल्पमत में सरकार होने की बात को नकारते हुए मायावती ने कहा, ‘ये सारी बातें विपक्षी की राजनीति व सरकार को बदनाम करने की साजिश है। बीएसपी का हर विधायक पार्टी के साथ पूरी तरह वफादार है और हर वे फैसले पर पर सरकार के साथ खड़े हैं।’
मायावती बोलीं, ‘नये परिसीमन के तहत कुछ विधायकों की सीटें गड़बड़ा गई हैं और वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते।’ उन्होंने पूछा कि कुछ मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ लोकायुक्त व दूसरे तरह की जांच चलने के कारण उनको टिकट नहीं दिया गया तो क्या वे पार्टी में नहीं हैं ?
मायावती ने आन्ध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा, ‘वहां के दर्जनों विधायकों ने तेलांगना प्रांत की मांग को लेकर इस्तीफा दे दिया तो क्या वहां की सरकार अल्पमत में आ गई है? केन्द्र के कई मंत्री और सांसद करप्शन के मामले में जेल के भीतर है, कईयों के खिलाफ जांच चल रही है तो क्या केंद्र सरकार अल्पमत में है? अगर नहीं तो विपक्षी दल किस आधार पर कह रहे हैं कि हमारी सरकार अल्पमत में है।’ उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की साजिश का जल्द होने वाले चुनाव में जनता जवाब देगी।
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा, ‘एक दिन पहले ही सदन स्थगित होने के लिए गैर बीएसपी दलों का रवैया ही पूरी तरह जिम्मेदार है। कांग्रेस, एसपी और बीजेपी सदन में बीएसपी के खिलाफ जिस तरह का व्यवहार किया, उससे उनकी दलित विरोधी मानसिकता साफ जाहिर हो जाती है।’ उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को शायद मालूम नहीं है कि बीएसपी में नहीं बल्कि उनके दलों में टूट-फूट हो रही है। एक दर्जन एमएलए दूसरे दलों को छोड़कर बीएसपी में शामिल हुए।