दीपावली यानि धूम धड़ाका पटाखे व रोशनी। दीपावली के त्यौहार पर हर ओर पटाखों की धूम रहती है बच्चे ही नहीं बड़े भी पटाखों को छुड़ाने का मजा लेते हैं। पटाखों से उठने वाले धुएं व धमाके की आवाज को लेकर चिकित्सकों ने लोगों को सतर्क किया है। चिकित्सकों का कहना है कि सांस के रोगी धुएं वालें वाले पटाखे से दूर रहें क्योंकि इससे निकलने वाला धुंआ जानलेवा हो सकता है।
दीपावली आते ही सभी मिठाइयों की मिठास व पटाखों की आवाजों में खो जाते हैं। रोशनी के इस पर्व में बच्चों की पहली पसंद फुलझड़ी, अनार व चकरघिन्नी होती है। यही वह पटाखे हैं जिनसे भारी मात्रों में धुंआ निकालता है। माता पिता उपरोक्त तीनों पटाखे बच्चों को बड़ी ही आसानी से ले देते हैं। उन्हें लगता है कि यह पटाखे बच्चों के लिए सुरक्षित हैं क्योंकि इन पटाखे आवाज नहीं करते और बच्चे आसानी से इन्हें जला सकते हैं। बावजूद इसके चिकित्सक कहते हैं कि भले ही यह पटाखे आवाज नहीं करते लेकिन यह आवाज करने वाले पटाखों से कहीं अधिक खतरनाक होते हैं। इन पटाखों से जो धुआं निकलता है वह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है।
चिकित्सक बताते हैं कि इन पटाखों के धुएं के साथ जो कण सांस नली में जाते हैं वह सांस नली को अवरूद्ध कर देते हैं। इससे दमे की समस्या हो सकती है। चिकित्सकों का कहना है कि फुलझड़ी आदि तो बच्चे हाथ में लेकर जलाते हैं जिससे धुंआ सीधे नाक में चला जाता है। चिकित्सकों की सलाह है कि दमें, सीओपीडी व सांस की किसी भी अन्य बीमारी के रोगी इस धुएं से बेहद सतर्क रहें क्योंकि इससे उनका रोग बढ़ सकती है। चिकित्सकों का कहना है कहना है कि जिन लोगों को सांस की समस्या है वह तो धुएं वाले पटाखों से दूर ही रहे हैं तथा जिन्हें समस्या नहीं है वह भी पटाखा जलाने में सावधानी बरतें। चिकित्सकों की सलाह है कि यदि पटाखा जलाना ही हो तो नाक व मुंह पर सूती कपड़ा बांधकर पटाखा जलाएं ताकि उठने वाला धुआं सीधा नाक में न जाएं।