सिर्फ खरीदारी ही नहीं, धनतेरस पर यमराज की पूजा भी होती है

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ज्यातदातर लोग धनतेरस को महज खरीददारी तक के रूप में जानते हैं, बहुत कम लोगों को यह पता है कि इस दिन यमराज की पूजा होती है। हिन्‍दू धर्म की मान्‍यता के अनुसार यमराज की पूजा सिर्फ इसी दिन होती है। कार्तिक मास की कुष्ण त्रयोदशी का नाम ही, धनतेरस है। धन त्रयोदशी पर उत्तर भारत में बर्तन खरीदना तथा दक्षिण भारत में सोन, चांदी के आभूषण खरीदने की परम्परा प्रचलित है। धन त्रयोदशी यमराज से संबंधित एक व्रत है। ऐसा माना जाता है कि जो भी श्रद्धा व विश्वास के साथ इस व्रत को  रखता है, उसके परिवार में आसमयिक मृत्यु  नहीं होती है। कार्तिक त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक, पांच दिन पर्यन्त दीपावली महोत्सव का ही क्रम जारी रहता है।

इस बार धन त्रयोदशी 24 अक्टूबर दिन सोमवार को मध्यान्ह 12:31 बजे से 25 अक्टूबर दिन मंगलवार को प्रातः 9:02 बजे तक है। प्रदोष व्यापनी त्रयोदशी 24 अक्टूबर को मनाई जायेगी परन्तु उदयव्यापनी त्रयोदशी 25 अक्टूबर को है। ज्योतिषियों के अनुसार खरीददारी का शुभ मुहूर्त  24 अक्टूबर प्रातः 6:30 बजे से रात्रि 12:40 बजे तक व व्यवसाय के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर मध्यान्ह 12:30 बजे से सांय 6:30 बजे तक है।