गुजरात दंगों के दौरान सीधे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर अंगुली उठाने वाले आईपीएस अधिकारी अधिकारी संजीव भट्ट को आखिर सोमवार को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी है। अपने अधीनस्थ अधिकारी पर जबरन हलफनामा बनवाने के लिये दबाव डालने को लेकर गिरफ्तार संजीव भट्ट को भट्ट 30 सितंबर से गुजरात के साबरमती जेल में थे। बता दें कि निलंबित अधिकारी भट्ट ने मोदी सरकार के खिलाफ यह कहा था कि दंगे मे सरकार की सहभागिता रही थी। वहीं भट्ट पर यह आरोप है कि ही उसने कोर्ट में सरकार के खिलाफ झूठे दस्तावेज पेश किए। साथ ही पुलिस अधिकारी को धमकाकर दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराने का आरोप है। पुलिस अधिकारी डी.के पंत की शिकायत पर गुजरात पुलिस ने 30 सितंबर को भट्ट को गिरफ्तार किया था।
विदित है कि गुजरात सरकार की ओर से निलंबित संजीव भट्ट की जमानत का विरोध किया जा रहा था। सरकार का कहना था कि भट्ट आपराधिक साजिश में शामिल रहे हैं और वह जमानत का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। भट्ट के वकील का कहना था कि भट्ट पर झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तार किया गया था, भट्ट पर आईपीसी की जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया उनमें से अधिकतर जमानती हैं और उन्हें जमानत देनी ही चाहिए थी।