करवाचौथ पर शनि का प्रकोप, नहीं हो सकी मिलाई

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फर्रुखाबाद: जिला जेल व केंद्रीय कारागार में बंद हजारों पुरुषों का दीदार उनकी पत्नियां नहीं कर पायेंगी| लेकिन उन कैदियों के लिए खुशखबरी है जो जोड़े जेल की सलाखों के पीछे बंद हैं| कई दर्जन महिलायें जेलों से बगैर अपने पति का चेहरा देखे मायूस होकर घर लौट गईं व दबी जुबान से जेल प्रशासन को कोसती नजर आईं| क्योंकि शनिवार होने की बजह से जेल मेनुअल के मुताबिक़ इस दिन अवकाश रहता है|

जहां एक ओर आज पूरा देश करवाचौथ का वृत मना रहा है वहीं दूसरी तरफ जेल की सलाखों के पीछे बंद करोड़ों स्त्री व पुरुष बंदी अपने-अपने जुर्म की सजा भुगत रहे हैं| इससे ज्यादा और क्या होगा कि बाहरी जिलों से आईं महिलाएं जेल गेट से मात्र चंद क़दमों पर बंद अपने पति का दीदार तक नहीं कर सकीं| जेल प्रशासन के बाहर गेट पर तैनात सिपाहियों ने महिलाओं को हडकाकर चलता कर दिया|

केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ में तो मात्र पुरुष बंदी ही बंद हैं लेकिन जिला कारागार फतेहगढ़ में पुरुषों के साथ-साथ ५० से ऊपर नयी नवेली दुल्हनों के अलावा वृद्ध महिलायें भी बंद हैं| जो भारतीय सभ्यता के अनुसार सुहागिनों के लिए यह वृत अपने पति की दीर्घायु की कामना करने के लिए बगैर जल पिए रखती है व अपने पति का चेहरा देखने के बाद ही वृत को तोड़ती हैं|

महिलाओं का मानना है कि ऐसा करने से पतियों की उम्र लम्बी हो जाती है लेकिन जो महिलायें कारागार में बंद हैं उनका यह संकल्प कैसे पूरा होगा और कैसे वृत तोड़ेंगी| इसका प्रशासन के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता| जिला जेल अधीक्षक कैलाश चन्द्र ने बताया कि जो महिला व पुरुष जोड़े मेरे यहाँ सजा काट रहे हैं उनको दिन में मुलाक़ात करा दी जायेगी लेकिन बाहर से किसी भी स्त्री व पुरुष मुलाकाती को मिलने की इजाजत नहीं दी|

हर बार करवाचौथ पर जहां जेल के गेटों के बाहर महिलाओं की लम्बी-लम्बी लाईने देखी जाती थीं वहीं आज शनिवार होने की बजह से मुलाकात की सरकारी छुट्टी रहती है| जिसके चलते आज जेल प्रशासन ने महिला व पुरुष मुलाकातियों को जेल के गेट पर खड़े होने तक नहीं दिया| व महिलायें मायूस होकर वापस हो गईं जिनकी कोई सुनाने वाला नहीं था|