कंपिल से कमालगंज तक डेंगू ने पैर पसारे, चिकित्सा विभाग बेखबर

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डेंगू से ग्रसित किशोरी की मौत, स्वास्थ्य विभाग घोड़े बेचकर सो रहा

फर्रुखाबाद(कायमगंज): मॉस्किटो टाइगर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर साल दावे पर दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी सतह पर इससे पार पाने की तैयारी नहीं की जाती है। बदलते जमाने के साथ डेंगू बुखार के प्रति जागरूकता लाने की कवायद के बावजूद पुराना रोग छूटने का नाम नहीं ले रहा है। हर साल आने वाले डेंगू के मरीजों को देख कर यही आभास होता है कि स्वास्थ्य विभाग पुराने रोग को कंट्रोल करने में लाचार है। जनपद में कमालगंज से लेकर कंपिल तक डेंगू अपने पैर पसार चुका है। जनपद में इलाज व जांच की व्यवस्था न होने के कारण मरीज के गंभीर हो जाने पर उसे आगरा, कानपुर ले जाते हैं। कुछ नसीब वाले बच जाते हैं, शेष बेमौत मारे जा रहे हैं। दो दिन पूर्व कमालगंज में डे्गू की सूचना आयी थी, शनिवार को कंपिल में कई मरीजो के डेंगू पीड़ित होने व एक बालिका के मर जाने का समाचार है। मुख्य चिकित्साधिकारी को चार दिन पूर्व लिये गये खून के नमूनों की रिपोर्ट आज तक नहीं मिली है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू मच्छर को मारने के लिए ठोस कदम उठाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन एंटी लारवा टीम में काम कर रहे गिने चुने मुलाजिम मच्छर मारने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जिस इलाके में डेंगू हो जाता है, वहां पर दवाइयों का छिड़काव करके वह अपने जिम्मेदारियों की इतिश्री कर लेते हैं।

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते थाना कम्पिल क्षेत्र के ग्राम बरखेडा को वायरल फीवर, मलेरिया व डेंगू ने अपनी चपेट में ले रखा है| गाँव के सूबे बाल्मीकि, सतेन्द्र पुत्र हरिलाल, आलोक पुत्र सतेन्द्र, रामवती पत्नी राम दुलारे, सपना व अपना सहित कई लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं| वहीं ५५ वर्षीय श्यामा देवी पत्नी राधेश्याम को बीते १० दिन से बुखार आ रहा था| जिसका इलाज निजी चिकित्सकों से कराया लेकिन स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ| खून की जांच कराये जाने पर डेंगू के लक्ष्ण मिले|

पति राधेश्याम ने बताया कि पत्नी की हालत बिगड़ने पर उसे आगरा ले गए जहां डाक्टरों ने उसे डेंगू होने की पुष्टि की| इलाज कराने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ| तो वहा से रिफर कराकर सैफई मेडिकल कालेज में भर्ती कराया| डाक्टरों की राया पर मै श्यामादेवी को घर वापस ले आया| घर से श्यामा का इलाज करा रहे हैं| वहीं गाँव के राजाराम की १८ वर्षीय पुत्री रिंकी की ६ सितम्बर को डेंगू के इलाज के दौरान सैफई मेडिकल कालेज में मौत हो गयी| ऐसे कई गाँव के लोग है जो वायरल फीवर व डेंगू से ग्रसित है| लेकिन स्वास्थ्य विभाग आँख मूंदे सब नजर अंदाज कर रहा है|

वहीं मिथलेश पत्नी सुरेशचन्द्र को भी डाक्टरों ने डेंगू से ग्रसित बताया। जिनका इलाज फर्रूखाबाद के निजी चिकित्सक के यहां चल रहा है। इलाज के दौरान कई बोतल खून चढ़ाया गया। अब इनकी हालत में धीरे धीरे सुधार होता जा रहा है। गांव में और भी कई लोग बुखार से पीड़ित हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी गरीबी के चलते अपना इलाज कराने में असमर्थ हैं। जिससे उन्हें चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं और इलाज के अभाव में जिन्दगी मौत से लड़ रहे हैं। गांव के लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों से मांग की है कि उनके गांव में शीघ्र एक स्वास्थ्य टीम भेजी जाये। जिससे ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ मिल सके।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा. कमलेश कुमार ने बताया कि कमालगंज से संकलित किये गये खून के नमूनों की अवकाश पड़ जाने के कारण अभी तक रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। सोमवार को रिपोर्ट आने पर अग्रिम कार्रवाई की जायेगी।  उन्होंने बताया कि डेंगू का मच्छर दिन मे काटता है। इस लिये लोगों को सुरक्षा की दृष्टि से दिन में मच्छरों के काटने से बचने का विशेष प्रयास करना चाहिये। उन्होंने बताया कि शुरुआती स्टेज में पता चलजाने पर डेंगू का इलाज किया जा सकता है।