विचाराधीन कैदियों की सूची तलब की
इलाहाबाद:उच्च न्यायालय ने ऐसे बंदियों को जो जुर्म की निर्धारित सजा का आधा हिस्सा जेल में बिता चुके हैं व उनके मुकदमों पर अभी फैसला नहीं हुआ है, को रिहा कियो जाने के निर्देश दिये हैं। साथ ही हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह और महानिरीक्षक कारागार से विचाराधीन बंदियों की सूची तलब की है। न्यायालय ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436(ए) का लाभ बंदियों को दिया जाना चाहिए।
विदित है कि धारा 436(ए) में वर्ष 2006 में संशोधन के जरिए यह व्यवस्था की गई थी कि ऐसे विचाराधीन बंदियों को अदालत निजी मुचलके पर रिहा कर सकती है जिन्होंने किए गए अपराध के लिए निर्धारित सजा का आधा समय जेल में बिता लिया है। उन कैदियों की भी रिहाई की व्यवस्था है जिन्होंने निर्धारित सजा की अवधि बिता ली है। बच्चे लाल की आपराधिक याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अमर सरन व न्यायमूर्ति कलीमुल्लाह खान की खंडपीठ ने यह निर्देश प्रदेश सरकार को दिये हैं। सुनवाई के लिए अगली तिथि 10 अक्टूबर नियत की है। सहायक शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र ने कोर्ट को अवगत कराया कि 81 कैदियों की रिहाई की जा चुकी है तथा 14 वर्ष की सजा काट चुके 740 कैदियों की रिहाई पर विचार चल रहा है।
केंद्रीय कारागार अधीक्षक यादवेंद्र शुक्ल एवं जिला कारागार अधीक्षक कैलाशचंद्र ने बताया कि फिलहाल कारागार में संशोधित धारा के अंतर्गत लाभ पाने योग्य बंदी जेल में नहीं हैं। केंद्रीय कारागार में निरुद्ध पूर्व विधायक उदयभान सिंह के रिश्तेदार को इसका लाभ मिल सकता है।