नई दिल्ली। आखिरकार तेल कंपनियों ने गुरुवार को पेट्रोल की कीमत में तीन रुपये की बढ़ोत्तरी कर दी। जबकि डीजल की कीमतों में कोई इजाफा नहीं किया गया है। यह कीमत आज रात से लागू हो जाएगी।
इन कंपनियों में से एक के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों तथा डालर की तुलना में रुपए के दो साल के निचले स्तर पर पहुंच जाने की वजह से इंडियन आयल कारपोरेशन [आईओसी], भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन [बीपीसीएल] और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन [एचपीसीएल] को पेट्रोल पर प्रति लीटर 2.61 रुपए का नुकसान हो रहा है।
अधिकारी ने कहा कि स्थानीय करों को जोड़ने के दाम खुदरा स्तर पर पेट्रोल के दामों में 3 रुपए से कुछ अधिक की वृद्धि जरूरी था। इससे पहले 15 मई को पेट्रोल के दाम 5 रुपए प्रति लीटर बढ़ाए गए थे। दिल्ली में इस समय पेट्रोल 63.70 रुपए लीटर है। अधिकारी ने कहा कि विभिन्न शहरों में कितनी मूल्यवृद्धि की जाएगी, यह अभी तय किया जा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले साल जून में सरकार ने पेट्रोल को नियंत्रणमुक्त कर दिया था। पर महंगाई के अनुरूप पेट्रोल कीमतों में इजाफा नहीं किया जा सका, क्योंकि मुद्रास्फीति की ऊंची दर को देखते हुए कंपनियों के सामने पेट्रोलियम मंत्रालय से ‘सलाह’ लेने की मजबूरी आ गई। आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को इस वित्त वर्ष में पेट्रोल की आयातित मूल्य से कम की बिक्री पर 2,450 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।
अधिकारी ने बताया कि वर्तमान दरों पर पेट्रोल की बिक्री पर कंपनियों को 2,850 करोड़ रुपए का और नुकसान हो सकता है। इससे ऐसे ईधन जिसे नियंत्रणमुक्त किया जा चुका है, की बिक्री पर ही इन कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में 5,300 करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना है।
पेट्रोल के अलावा इन तीनों कंपनियों को डीजल, एलपीजी तथा मिट्टी के तेल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से प्रतिदिन 263 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। ये कंपनियां डीजल 6.05 रुपए प्रति लीटर के घाटे पर बेच रही हैं, जबकि केरोसिन पर उन्हें प्रति लीटर 23.25 रुपए का नुकसान सहना पड़ रहा है। एलपीजी पर उन्हें प्रति सिलेंडर 267 रुपए का नुकसान हो रहा है।
अधिकारी ने कहा कि सितंबर, 2009 के बाद कल रुपया गिरकर 48 प्रति डालर पर आ गया। ‘रुपए में प्रत्येक एक रुपए की कमजोरी से कंपनियों को सालाना घाटा 9,000 करोड़ रुपए बढ़ता है।’