हाल-ए-बेसिक शिक्षा: विद्यालय है या गोदाम

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फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा का बुरा हाल है, कहीं बच्चे नहीं हैं तो कहीं शिक्षक नहीं. जहाँ दोनों है वहां मिड डे मील नहीं| जिले में आज भी दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं जहां शिक्षण कार्य या तो शिक्षामित्र के भरोसे है या फिर वहां अध्यापक ही नहीं है। कई विद्यालयों के कक्ष में निजी कार्य हेतु इस्तेमाल किया जाता है| कमरों में लकडियाँ भरी जाती है तो फिर ज्ञान लेने के लिए बच्चे कहा बैठेंगें इसकी परवाह किसी को नहीं|

ऐसी परिस्थितियों में प्राथमिक विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाने के बजाए लोग क्षेत्र के अमान्य विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाना ज्यादा मुनासिब समझते हैं। शिक्षा विभाग की इसी लचर शैली के चलते शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है।

विद्यालयों में शिक्षा के गिरते स्तर से अभिभावकों को अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति चिंता सताने लगी है। सैकड़ों अभिभावकों ने शिक्षा का माहौल देख अपने बच्चों का नाम प्राइवेट विद्यालयों में लिखवा दिया है।

शहर क्षेत्र के समीप प्राथमिक विद्यालय तिराहा मुरहास में जब JNI टीम पहुँची तो वहां का नजारा देखकर चकित रह गयी| जिन कमरों में बच्चों को शिक्षा दी जाती है उन कमरों में लकडियाँ व कोड़ा करकट भरा हुआ था| दूसरे कक्ष का नजारा देखा तो फारस चटकी न ही सफाई उसी गन्दगी में पट्टी पर बैठे २, ४ बच्चे नजर आये|

विद्यालय प्रांगण में समय ७ बजे शिक्षामित्र फिरोज व गीता की ही उपस्थित नजर आयी| विद्यालय की हेड उर्मिला व सहायक अध्यापिका रजनी की आमद नहीं हुयी| सुबह ८ बजे विद्यालय की हेड उर्मिला ने अपने कदम रखे| टीम द्वारा मिड डे मील के रजिस्टर के बारे में जानकारी करने पर पता चला कि रजिस्टर स्कूल में नहीं है|

टीम का अगला पड़ाव बढपुर ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय नूरपुर पर पहुंचा| विद्यालय के प्रधानाचार्य रामऔतार सिंह ने बताया कि वह विद्यालय में ७ बजे ही आ चुके थे| सहायक अध्यापक संतोष चन्द्र, शकुन्तला देवी, अनीता बाजपेयी ७:३० बजे तक नहीं आयी थीं|

टीम ने प्रधानाचार्य से उपस्थित रजिस्टर दिखाने को कहा रजिस्टर में सभी स्टाफ की उपस्थित ६:३० व ६:३५ अंकित थी| रजिस्टर की फोटो लेने की कोशिश करने पर हेड ने फोटो लेने से टीम को साफ़ मना कर दिया| जब कि सूत्रों के अनुसार सभी स्टाफ ७:३० बजे से पहले नहीं आता|