समाज के अंतिम छोर से आईं इकरा व सिमरन इतिहास का हिस्सा बनीं

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फर्रुखाबाद: अनना हजारे के रामलीला ग्राउंड पर किये गये एतिहासिक अनशन को तुड़वाने के लिये उनको नारियल पानी व शहद देने वाली इकरा व सिमरन ने भी अपना नाम इतिहास के पन्नों में सुरक्षित कर लिया हैं। समाज के अंतिम छोर पर बैठे समाज की इन बच्चियों को इतिहास में जगह दिलाने की अन्ना की पहल सांकेतिक तो है ही परंतु अपने आप में अनूठी भी है।

दिल्ली के सुंदर नगरी में रहने वाली सिमरन एक साधारण दलित सिक्यूरिटी गार्ड बच्चू सिंह की बेटी है। सिमरन की मां रेखा बताती है कि पांच भाई बहनों में सबसे छोटी सिमरन का नाम पिछली साल फीस जमा न कर पाने के कारण नर्सरी स्कूल से काट दिया गया था। इस बार फिर पैसे जमा कर उसका दाखिला स्कूल में कराया है। वहीं चार साल की इकरा भी अपने नौ भाई बहनों में सबसे छोटी है। दिल्ली के तुर्कमानगेट इलाके में रहने वाले इकरा के पिता शहाबुद्दीन मूल रूप से मेवाती मुसलमान हैं। शहाबुद्दी टीम अन्ना के साथ स्वयं सेवक के तौर पर काम करते हैं। अन्ना के द्वारा उनके परिवार को यह सम्मान दिये जाने से खुश शहाबुद्दीन कहते हैं कि उनकी तो ईद चांद दिखने से पहले ही हो गयी।