नगर पालिका के अध्यक्ष भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपना रुख साफ़ करें

Uncategorized

फर्रुखाबाद: भ्रष्टाचार ख़त्म करने के मुद्दे पर जब पूरे देश में जंग छिड़ी है तब फर्रुखाबाद के सभी नेता खामोश है| क्या ये मान लिया जाए कि जनपद का कोई भी नेता भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चोरो के साथ खड़ी है| शहर की सबसे पहली लोकतान्त्रिक इकाई नगरपालिका के अध्यक्ष से जनता पूछ रही है कि वो बताएं कि क्या वो भ्रष्टाचार के विरोध में हैं या नहीं| यदि हैं तो क्या वो नगरपालिका में विकास कार्यो सहित अन्य खर्चो में कमीशनबाजी बंद करने को तैयार हैं या नहीं| क्यूंकि वर्तमान में पूरे नगर में उनके ठेकेदार जो नाली और गली का काम करवा रहे है वो सरसर तौर पर अमानक हो रहा है और ठेकेदारों का कहना है कि उन्हें नगरपालिका ने अध्यक्ष से लेकर कई अफसरों को कमीशन देना पड़ रहा है बल्कि गलियों में लगने वाली ब्रिक पेवर ईंट भी उनकी बेनामी कम्पनी बाथम ब्रदर्स की लगाना बाध्यकारी है जिसका पैसा नगरपालिका अध्यक्ष और उनके पार्टनर के पास जाता है जो कि बेनामी है|

यहाँ हम ये स्पष्ट कर दे कि जेएनआई ने न केवल कई महीनो से लगकर इस बात के पुख्ता सबूत जुटाए हैं कि ऊपर जो लिखा है वो अक्षरश सौ प्रतिशत सही है| बहस अब इस बात पर नहीं है कि नगरपालिका अध्यक्ष सहित उनके सरकारी बाबू और अफसर भ्रष्टाचार कर रहे है क्यूंकि ये अब प्रमाणिक है|

सवाल तो अब ये है क्या अब जब देश की जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी हो चुकी है तब नगरपालिका के अध्यक्ष मीडिया में आये और इस बात का एलान करने को तैयार हैं कि आज से और अभी से नगरपालिका में कोई घूस नहीं लेगा और सारे विकास कार्यों पर कोई कमीशन नहीं लगेगा| ठेकेदार मनको के अनुसार काम करें और मुनाफा कमाए|

आम जनता और ठेकेदारों की तरफ से नगर पालिका के अध्यक्ष से जेएनआई खुद ये सवाल पूछ रहा है ताकि जनता को एक बेहतर सुखद और भ्रष्टाचार मुक्त नगरपालिका मिल सके|

नगरपालिका में किसी भी निर्माण कार्य में न तो एस्टीमेट का खुलासा हो रहा है और न ही कोई मानक का बोर्ड लगाया जा रहा है| इसलिए देखिये क्या क्या हो रहा है|

*नगर में बन रही किसी भी गली में क्लास 1 ईंट नहीं लग रही| हर गली में घटिया सेम ईंट का इस्तेमाल हो रहा है|
*गलियों को बनाने में किसी भी प्रकार का कोई वाटर लेवल प्लान नहीं है|
*अभी तक जो गलियां बनी है या बन रही हैं उनके साइड में बन्ने वाली नाली के भुगतान में बड़ा अंतर है| इंजिनियर फर्जी एमबी करके निर्माण कार्य में लगी सामग्री ईंट, सीमेंट, और बालू या मौरम की ज्यादा मात्र दर्ज करके सरकारी पैसे का बंदरबाट कर रहे है|
*सूचना के अधिकार के तहत अगर ये एमबी बुक (इसी किताब पर ठेकेदार का बिल बनाकर भुगतान किया जा सकता है) यदि जब्त कर ली जाए तो इंजिनियर को जेल जाने से कोई नहीं रोक सकता|
*गलियों में जो ब्रिक पेवर एन्न्त लग रही है वो मानक के अनुरूप नहीं है|
*गलियों में बिछने वाली कच्ची गिट्टी की परत बहुत ही पतली बिछाकर न केवल गोलमाल किया जा रहा बल्कि निर्माण की गुणवत्ता से खिलवाड़ किया जा रहा है|

इस सब बातो पर ठेकेदारों का रुख स्पष्ट है कि उन्हें कमीशन देना पड़ रहा है इसलिए वे मजबूर हैं घटिया निर्माण के लिए|