लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को खंडित करने और इसकी आड़ में अपनी करतूतें छुपाने के लिए उप्र में भ्रष्टाचार का राज चलानेवाली मुख्यमंत्री मायावती कभी अन्ना हजारे के पक्ष में खड़ी हो जाती हैं तो कभी सिविल सोसायटी में दलित प्रतिनिधित्व न होने का सवाल उठाने लगती है। इसका मंतव्य भ्रम की स्थिति पैदा करना है ताकि लोगों का ध्यान उनके भ्रष्टाचार से हट सके।
आरोप लगाते हुए सपा प्रवक्ता ने कहा कि अपराधियों व अभियुक्तों से भरी हुई बसपा प्रभावी लोकपाल बिल की मांग उठाती है। यह मांग उठाना एक स्वांग है, नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में बताया गया है कि बसपा के राज में उत्तर प्रदेश में जनता के धन की जबर्दस्त लूट चल रही है। पत्थरों के स्मारकों के नाम पर करोड़ों रूपयों का घोटाला हुआ है। किसानों की जमीन छीनकर बिल्डरों को देने के उनके कारनामे पर सुप्रीम कोर्ट फटकार लगा चुका है। एनआरएचएम में तो घोटालों के चलते तीन डाक्टरों की जान भी चली गई है।
सच तो यह है कि मुख्यमंत्री स्वयं भ्रष्टाचार की गांगोत्री बन गई है। उनके अधीन पंचमतल पर अधिकारी यही शोध करते रहते है कि किस तरह से वसूली और लूट के धंधें को बढ़ाया जाए। इस शोध से दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रहे आंदोलन के आयोजक भी आश्चर्य चकित हो जाएगें। वे इनसे जानेगें कि भ्रष्टाचार कहां-कहां और कैसे-कैसे हो सकता है। मुख्यमंत्री को हर निर्माण कार्य में मोटा कमीशन लेने से ही संतोष नहीं हुआ है इसीलिए माल ढुलाई पर गुण्डा टैक्स और आबकारी विभाग में प्रति बोतल वसूली का फार्मूला भी लागू कर दिया गया है।
आखिर मुख्यमंत्री किस मुंह से सशक्त लोकपाल विधेयक की बात करती हैं जबकि वे प्रदेश के लोकपाल की रिपोर्टो को रद्दी की टोकरी के हवाले करने की आदत डाल चुकी हैं। उनके कई मंत्री लोकायुक्त की जांच की जद में हैं। एक राज्यमंत्री तो अभी-अभी लोकायुक्त द्वारा सीधे-सीधे उन्हें पदच्युत किए जाने की सिफारिश के बाद हटाए गए है। दरअसल मुख्यमंत्री अपने काले कारनामों को दूसरों के सहारे छुपाने की बेशर्म कोशिश कर रही है। लेकिन जनता है जो सब जानती है। वह मुख्यमंत्री के सभी करतूतों का पूरा हिसाब रख रही है। अगले विधान सभा चुनाव में बसपा और मुख्यमंत्री दोनों की जवाबदेही तय की जाएगी।
प्रदेश में बसपा राज की कुनीतियों का विरोध समाजवादी पार्टी करती आई है। बसपा राज में मुख्यमंत्री भ्रष्ट मंत्रियों, विधायकों को बचाने का काम करती रही है। उनके कार्यकाल में राजकोष कंगाल हो गया है। कोठी प्लाट पर कब्जे हुए हैं। सरकार की विश्वनीयता समाप्त हो गयी|