लोकायुक्त पहले भी भेज चुके हैं बसपा के तीन मंत्रियों के खिलाफ रिपोर्ट

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अवध पाल सिंह यादव मायावती सरकार के चौथे मंत्री हैं  जो लोक आयुक्त जांच में दोषी पाए गए । इससे पहले धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री राजेश त्रिपाठी, बेसिक शिक्षा मंत्री धर्म सिंह सैनी व अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज राज्यमंत्री अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू के खिलाफ लोक आयुक्त मुख्यमंत्री को रिपोर्ट भेज चुके हैं। लोक आयुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने अब तक जिन मंत्रियों के खिलाफ सरकार को रिपोर्ट भेजी है उनमें से केवल राजेश त्रिपाठी को ही मंत्रिमंडल से हटाया गया है। कार्रवाई के नाम पर धर्म सिंह सैनी को चेतावनी भर दी गई| जबकि फूल बाबू के बारे में भेजी रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई हुई इसकी सूचना लोकायुक्त संगठन को नहीं है।

तत्कालीन धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री राजेश त्रिपाठी की सरपरस्ती में गोरखपुर के चिल्लूपार में मुक्तिपथ सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा नारकोटिक्स विभाग की एक हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर कब्जा करके अवैध दुकानें बनवाकर कमाई करने की शिकायत लोक आयुक्त से की गई थी। जांच में मंत्री के ट्रस्ट द्वारा नारकोटिक्स विभाग की जमीन पर कब्जा करके दुकानें खुलवाने, उनसे किराया वसूलने, मुक्ति पथ ट्रस्ट घाट पर शवदाह के लिए पैसा वसूलने समेत ज्यादातर आरोप सही पाए गए। लोक आयुक्त ने राज्यमंत्री द्वारा विधायक निधि से कराए गए कार्यों पर भी सवाल उठाते हुए इसकी जांच कराने की सिफारिश की थी। दिसंबर 2010 में मुख्यमंत्री को रिपोर्ट भेजकर सिफारिश की थी कि राजेश त्रिपाठी को मंत्री पद या मुक्ति पथ सेवा संस्थान के अध्यक्ष पद में से किसी एक पद पर काम करने से रोका जाए। त्रिपाठी ने ट्रस्ट के अध्यक्ष का पद छोड़ने से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया।

• अवधपाल लोकायुक्त जांच में दोषी चौथे मंत्री

• सिर्फ एक मंत्री को ही मंत्रिमंडल से हटाया

• बाकी दो के लिखाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई

बेसिक शिक्षा विभाग में हुए सिलाई मशीन खरीद घोटाले की जांच में बेसिक शिक्षा मंत्री धर्म सिंह सैनी को दोषी ठहराते हुए लोक आयुक्त ने मुख्यमंत्री को रिपोर्ट भेजी थी। सरकार ने कुछ नहीं किया तो लोक आयुक्त ने 23 फरवरी को राज्यपाल बीएल जोशी को विशेष रिपोर्ट भेज दी। विदित है कि रामपुर के एक बसपा कार्यकर्ता ने लोकायुक्त को शिकायती पत्र देकर रामपुर के तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी शेख तजम्मुल हुसैन पर नेशनल प्रोग्राम ऑफ एजूकेशन फॉर गर्ल्स एट एलिमेंट्री लेवल योजना के अंतर्गत सिलाई-कढ़ाई मशीन के लिए आवंटित धनराशि के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। लोक आयुक्त की रिपोर्ट पर पहले तो बेसिक शिक्षा मंत्री ने अभियोजन की स्वीकृति देते हुए एफआईआर दर्ज कराने और विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया। फिर कुछ ही महीने बाद न सिर्फ बीएसए का निलंबन समाप्त कर बहाल कर दिया गया बल्कि अनुशासनिक कार्रवाई भी समाप्त कर दी गई। सरकार की ओर से लोक आयुक्त को भेजी गई अनुपालन रिपोर्ट में मंत्री को चेतावनी दिए जाने की बात कही गई है।

लोक आयुक्त अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज राज्यमंत्री अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू के खिलाफ भी जांच करके मुख्यमंत्री को रिपोर्ट भेज चुके हैं। बीसलपुर (पीलीभीत) के रहने वाले पूर्व मंत्री राम सरन वर्मा ने लोक आयुक्त के समक्ष फूल बाबू, उनकी पत्नी मलका बेगम तथा उनके परिवार के सदस्यों शकील अहमद खां उर्फ गुड्डू, अकील अहमद खां उर्फ पप्पू, इकबाल अहमद खां, शरीफ अहमद खां व जल निगम के अभियंता अनीस खां के खिलाफ शिकायत दाखिल की थी। शिकायतकर्ता का आरोप था कि राज्यमंत्री ने विधायक निधि का दुरुपयोग करते हुए अपने परिवार के सदस्यों की संस्था द्वारा संचालित स्कूल को लाखों रुपये आवंटित कर दिए। जांच के बाद मई 2011 में लोक आयुक्त ने मंत्री के परिवार की शैक्षिक संस्था शफी खां मेमोरियल मुस्लिम पब्लिक एजूकेशन सोसाइटी बीसलपुर पीलीभीत को वर्ष 2007-08 में विधायक निधि से गलत ढंग से दिए गए 69.23 लाख रुपये की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसके अलावा मंत्री पर कार्रवाई का निर्णय मुख्यमंत्री पर छोड़ा था। इस रिपोर्ट पर क्या कार्रवई की गई इसकी कोई सूचना अभी तक लोकायुक्त को नहीं भेजी गई है।